मिलीभगत से किराए के लाइसेंस पर चल रहे मेडिकल स्टोर
ड्रग इंस्पेक्टर की कथित मिलीभगत से किराए के लाइसेंस पर चल रहे मेडिकल स्टोर
जांच–कार्रवाई करेगा कौन?
नैनपुर — छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में कफ सिरप से 20 मासूम बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था और दवा कारोबार पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। घटना के बाद जिला प्रशासन की सक्रियता सिर्फ कफ सिरप की जांच और कुछ औपचारिक छापामार कार्रवाइयों तक सीमित रही, लेकिन दवा कारोबार की जड़ में छिपी सबसे बड़ी अव्यवस्था—किराए के लाइसेंस पर चल रहे मेडिकल स्टोर्स—अब भी जस की तस बनी हुई है।
जमीनी हकीकत यह है कि नैनपुर ब्लॉक में अधिकांश मेडिकल स्टोर पूरी तरह गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रहे हैं। दुकानों पर लगे लाइसेंस किसी और के नाम से हैं, जबकि दवाओं की बिक्री ऐसे लोगों के भरोसे की जा रही है जिनके पास न तो फार्मेसी की डिग्री है और न ही दवाओं का समुचित ज्ञान। नियमों के मुताबिक किसी भी दवा दुकान पर स्वयं पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य है, लेकिन वास्तविकता में अधिकतर दुकानों पर नौसिखिए ही मरीजों को दवाएं थमा रहे हैं।
जानकारों के अनुसार, जिले में वर्षों से यह खेल खुलकर चल रहा है। डिग्री होल्डर फार्मासिस्ट अपने लाइसेंस किराए पर दे रहे हैं और बदले में हर महीने 3 से 5 हजार रुपये वसूल किए जा रहे हैं। वहीं, दवा दुकानदार घर बैठे “लाइसेंसी” बने लोगों के नाम पर दुकानें चला रहे हैं। कुछ लोग तो कुछ दिन फार्मासिस्ट के पास काम सीखने के बाद ही किसी और की डिग्री के सहारे मेडिकल स्टोर का पंजीयन करा लेते हैं।
सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह है कि इतने लंबे समय से नियमों का उल्लंघन होने के बावजूद ड्रग विभाग, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अवैध रूप से संचालित मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई का अभाव विभागीय मिलीभगत की ओर इशारा करता है। जब निरीक्षण सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाए और जमीनी सच्चाई से आंखें मूंद ली जाएं, तो परासिया जैसी दर्दनाक घटनाएं होना तय है।
अब जरूरत है दिखावटी छापों से आगे बढ़कर व्यापक और निष्पक्ष जांच की। किराए के लाइसेंस पर चल रहे मेडिकल स्टोर्स को तत्काल बंद कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि आमजन के स्वास्थ्य के साथ हो रहा यह खिलवाड़ रोका जा सके।
सवाल साफ है—क्या प्रशासन समय रहते जागेगा, या अगली खबर फिर किसी मासूम की जान जाने के बाद लिखी जाएगी?
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