स्कूल गेट पर मिल रही शराब की बोतलें, सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल
अब स्कूल भी अछूते नहीं?
स्कूल गेट पर मिल रही शराब की बोतलें, सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल
नैनपुर।शिक्षा के मंदिर अब सुरक्षित नहीं रहे—यह सवाल आज नैनपुर क्षेत्र के ग्राम समनापुर से उठ रहा है। गांव के स्कूलों के गेट पर रोजाना शराब की खाली बोतलें मिलना अब आम बात हो गई है। हालात ऐसे हैं कि स्कूल खुलने से पहले ही स्टाफ को ताला खोलने से पहले शराब की बोतलें हटानी पड़ रही हैं। यह दृश्य न केवल शर्मनाक है, बल्कि पूरे सिस्टम पर बड़ा प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि रात के समय शराबी स्कूल परिसर के पास बैठकर शराब पीते हैं और खाली बोतलें वहीं फेंक कर चले जाते हैं। यह गंदा और भयावह माहौल सिर्फ एक पंचायत का नहीं, बल्कि जिले की लगभग हर ग्राम पंचायत और स्कूलों के आसपास देखने को मिल रहा है।
दो साल के भाजपा के कथित सफल कार्यकाल के बीच यह बदनुमा दाग सामने आना चिंताजनक है। सरकार की योजनाएं ज़मीनी स्तर पर लागू हो रही हैं, लाभ भी मिल रहा है, लेकिन कुछ विभागों में नौकरशाही इस कदर हावी है कि सरकार और जनप्रतिनिधि बदनाम हो रहे हैं।
यहां तक कि जिन माताओं-बहनों को सरकार हर माह आर्थिक सहायता दे रही है, वे खुलकर कहने लगी हैं—
“पैसे मत दो, लेकिन हमारे गांव में शराब बंद करा दो।”
मंडला जैसे आदिवासी अंचल में तेजी से बढ़ रही शराबखोरी और अवैध बिक्री सामाजिक सरोकार और ताने-बाने को तोड़ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि हर घर में एक दारूखोर पैदा हो गया है, जबकि आबकारी विभाग सरकार से वेतन लेकर ठेकेदारों की जी-हजूरी कर रहा है।
ग्राम समनापुर में एक दर्जन से अधिक कच्ची-पक्की अवैध शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं। पुलिस को सूचना देने के बावजूद सिर्फ समझाइश दी जाती है, ठोस कार्रवाई नहीं होती।
स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि बच्चे, वृद्ध और यहां तक कि महिलाएं भी शराब के नशे की गिरफ्त में आ रही हैं। इन गंभीर आरोपों को लेकर नशा मुक्ति संगठन एवं ग्राम पंचायत समनापुर (थाना क्षेत्र नैनपुर) की महिलाओं ने रैली निकालकर विरोध दर्ज कराया।
अब महिलाओं का रुख सीधे कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मंडला की ओर है, जहां वे मिलकर अपनी पीड़ा और मांगें रखेगी।
इस पूरे मामले पर ग्राम पंचायत समनापुर के सरपंच शिवनाथ मरावी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा—
> “ग्राम पंचायत में जल्द ही प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आज के बाद यदि कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत समनापुर में शराब बेचते पकड़ा गया तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
जो शराब बिक्री की सूचना देगा, उसे 2 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा।
बाहर से शराब पीकर गांव का माहौल खराब करने वालों को समिति के माध्यम से मौके पर दंडित कर थाने के हवाले किया जाएगा।”
अब सवाल साफ है—
जब स्कूलों के गेट तक शराब पहुंच चुकी है, तो क्या प्रशासन अब भी आंखें मूंदे रहेगा, या समाज और आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए ठोस कार्रवाई करेगा?
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