विकास के दावे हवा-हवाई, नावरा का यात्री प्रतीक्षालय खुद मांग रहा है इंसाफ
नावरा का यात्री प्रतीक्षालय बना खंडहर, 22 गांवों के यात्रियों की मजबूरी पर प्रशासन मौन
बुरहानपुर जिले की ग्राम पंचायत नावरा में बना यात्री प्रतीक्षालय आज खुद बदहाली का शिकार होकर खंडहर में तब्दील हो चुका है। यह वही नावरा है, जहां हर सप्ताह साप्ताहिक हाट बाजार लगता है और प्रतिदिन सैकड़ों लोग—स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और मजदूर—आवाजाही करते हैं। इस क्षेत्र से करीब 22 गांव सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यात्रियों को सिर्फ उपेक्षा ही मिल रही है।
बरसों पहले यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए गए इस प्रतीक्षालय को देखकर साफ समझ आता है कि पंचायत की लापरवाही और शासन-प्रशासन की उदासीनता ने इसे वीरान खंडहर बना दिया है। न छत ठीक है, न बैठने की व्यवस्था और न ही साफ-सफाई। बारिश हो, गर्मी हो या कड़ाके की ठंड—हर मौसम में यात्रियों को खुले मैदान में खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है।
सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और छोटे बच्चों के साथ बाजार आने वाली माताओं को उठानी पड़ रही है। स्कूली मासूम बच्चे, जो रोज पढ़ाई के लिए इसी रास्ते से आते-जाते हैं, धूप और बारिश में खड़े रहने को मजबूर हैं। अगर यह यात्री प्रतीक्षालय सही हालत में होता, तो कम से कम महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को थोड़ी राहत जरूर मिलती।
स्थिति इतनी गंभीर है कि अब स्थानीय लोग यहां अवैध कब्जे की आशंका भी जता रहे हैं। वीरान पड़े इस ढांचे पर अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह पूरी तरह असामाजिक तत्वों के हवाले हो सकता है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पंचायत नावरा, जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन इस ज्वलंत समस्या को देख भी रहा है या फिर आंखें मूंदे बैठा है? क्या नावरा बाजार में आने वाले स्कूली बच्चों और माता-बहनों की तकलीफें किसी को दिखाई देंगी?
अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस यात्री प्रतीक्षालय का नवीनीकरण कर यात्रियों को राहत देगा या फिर यह मुद्दा भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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