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नैनपुर में रोजगार का सूखा: पलायन बनी मज़दूरों की मज़बूरी, सरकार और जनप्रतिनिधि चुप

 


नैनपुर में रोजगार का सूखा: पलायन बनी मज़दूरों की मज़बूरी, सरकार और जनप्रतिनिधि चुप


  • आदिवासी बहुल क्षेत्र की हकीकत — हर साल हज़ारों मज़दूरों का पलायन


  • उद्योग-धंधों का अभाव, सरकारी योजनाएं विफल, सांसद-विधायक से जवाबदेही की मांग

नैनपुर (जिला मंडला, म.प्र.) — मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके नैनपुर में बेरोजगारी विकराल रूप लेती जा रही है। रोजगार के अभाव में यहां के हज़ारों ग्रामीण, विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के मज़दूर, हर साल दूसरे राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। ग्रामीण इलाकों में न तो उद्योग हैं, न ही प्रशिक्षण केंद्र, और सरकारी योजनाएं भी केवल कागज़ों में सिमटकर रह गई हैं।


हर साल 10 हज़ार से अधिक मज़दूरों का पलायन


स्थानीय सूत्रों और सामाजिक संगठनों के अनुसार नैनपुर ब्लॉक से हर साल लगभग 10,000 से ज्यादा मज़दूर महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पलायन करते हैं। इनमें से 75% मज़दूर आदिवासी समुदाय से आते हैं, जिनके पास या तो कृषि भूमि नहीं है या भूमि उपजाऊ नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में कोई भी स्थायी रोजगार का साधन मौजूद नहीं है।


सरकारी योजनाएं बनी दिखावटी


  • मनरेगा और ग्रामीण कौशल विकास योजना जैसी योजनाएं यहां पूरी तरह असफल हैं:

  • मनरेगा में साल भर में मुश्किल से 40-50 दिन का काम ही मिल पा रहा है।

  • कौशल विकास योजना (DDU-GKY) का प्रशिक्षण केंद्र वर्षों से बंद पड़ा है।

  • वन विभाग की योजनाएं भी दलालों और ठेकेदारों के बीच उलझकर रह गई हैं।

  • रोजगार गारंटी योजनाओं में भी पंजीकृत श्रमिकों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा।


सांसद और विधायक पर गंभीर सवाल


नैनपुर क्षेत्र के सांसद और विधायक दोनों आदिवासी वर्ग से आते हैं, लेकिन रोजगार और उद्योग स्थापना के मुद्दों पर उनके प्रयास नगण्य हैं। जनता का आरोप है कि:


क्षेत्र में अब तक एक भी बड़ा उद्योग नहीं स्थापित कराया गया।


•कोई स्थायी स्वरोजगार योजना लागू नहीं हुई।


•विधानसभा और संसद में क्षेत्र के मुद्दे उठाए ही नहीं जाते।



क्या चाहिए नैनपुर को?


विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि:


1. नैनपुर और आसपास के क्षेत्र को "आदिवासी विशेष औद्योगिक क्षेत्र" घोषित किया जाए।


2. लघु वनोपज, बाँस, तेंदूपत्ता जैसे संसाधनों पर आधारित छोटे उद्योग स्थापित हों।


3. प्रशिक्षण केंद्र और स्टार्टअप हब खोले जाएं, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले।


4. सांसद और विधायक को ज़मीनी कार्य का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए।

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