मध्यप्रदेश का अनदेखा नगर नैनपुर: जिला, शिक्षा, स्वास्थ्य — हर मोर्चे पर विकास से वंचित!
"मध्यप्रदेश का अनदेखा नगर नैनपुर: जिला, शिक्षा, स्वास्थ्य — हर मोर्चे पर विकास से वंचित!
- २० सालों से लंबित मांगें, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अधूरी घोषणाएं,
- नैनपुर की जनता का सवाल — कब मिलेगा हक?
नैनपुर - मध्यप्रदेश के मंडला जिले का नैनपुर, जो कभी एशिया के सबसे बड़े नैरोगेज रेलवे जंक्शन के नाम से जाना जाता था, आज भी विकास की महत्वपूर्ण सुविधाओं से वंचित है।
वर्ष 2005 से लेकर 2024 तक सरकारी स्तर पर कई घोषणाएं की गईं, लेकिन नैनपुर को जिला बनाने से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कोई ठोस बदलाव नहीं आया।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और सरकारी उदासीनता ने इस ऐतिहासिक नगर को उपेक्षा की गहरी खाई में धकेल दिया है।
नैनपुर को जिला बनाने की माँग २००५ से लंबित
२००५ में नैनपुर को जिला घोषित करने की मांग पहली बार विधानसभा में जोर-शोर से उठी थी। जनसंख्या, प्रशासनिक आवश्यकता और क्षेत्रीय स्थिति के आधार पर यह पूर्णतया जायज़ था। लेकिन बीस वर्षों में न तो यह मांग पूरी हुई, न ही कोई ठोस पहल हुई। नतीजतन, नैनपुर अभी भी मंडला जिले की अधीनता में है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
रेलवे डिवीजन की उम्मीद और ठोस असफलता
२०१५ में नैनपुर से छिंदवाड़ा, बालाघाट और जबलपुर तक ब्रॉडगेज लाइन का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर रेलवे डिवीजन की स्थापना की मांग तेज़ हो गई। २०१९ में सांसद द्वारा रेलवे मंत्रालय को पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक कोई जवाब या कार्रवाई नहीं हुई।
नैनपुर रेलवे जंक्शन के ऐतिहासिक महत्व के बावजूद यहाँ ना तो कोई वर्कशॉप, ना मालगोदाम और ना ही अन्य आवश्यक रेलवे सुविधाएं विकसित की गईं।
शिक्षा क्षेत्र की कमी — पलायन की मुख्य वजह
२००९ में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की मांग उठी, पर वह प्रस्तावों तक ही सीमित रह गई। २०१३ में महिला महाविद्यालय खोलने का वादा किया गया, लेकिन स्वीकृति और बजट कहीं नहीं दिखा। आज भी नैनपुर में उच्च शिक्षा के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
विद्यार्थियों को मंडला, बालाघाट या जबलपुर तक जाना पड़ता है। जनजातीय और गरीब वर्ग के लिए छात्रावास की व्यवस्था भी न के बराबर है।
स्वास्थ्य सेवाएं — विशेषज्ञों, सीटी स्कैन और डायलिसिस मशीन की भारी कमी
२०१७ में नैनपुर में एक उन्नत शासकीय अस्पताल स्थापित करने की घोषणा हुई। लेकिन आज भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ नहीं हैं।
सीटी स्कैन मशीन और डायलिसिस यूनिट अभी भी उपलब्ध नहीं हैं। गंभीर मरीजों को जबलपुर या अन्य बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। अस्पताल की वर्तमान सेवाएं प्राथमिक उपचार तक सीमित हैं।
स्थानीय रोजगार की कमी और उद्योग का अभाव
नैनपुर में कोई औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हुआ है। कौशल विकास केंद्र, लघु उद्योग और स्वरोजगार योजनाओं का प्रभाव भी नगण्य है। युवा बेरोजगारी और पलायन के शिकार हैं।
सार्वजनिक सुविधाएं — खेल, सांस्कृतिक मंच और पुस्तकालय की कमी
नगर में बड़े खेल मैदान, पुस्तकालय, सांस्कृतिक केंद्र या ऑडिटोरियम की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे युवाओं की प्रतिभाओं को निखारने में बाधा आती है।
जनता का प्रश्न — कब मिलेगा विकास का अधिकार?
– नैनपुर को जिला बनाने की प्रक्रिया कब पूरी होगी?
– महिला महाविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय की स्थापना कब होगी?
– विशेषज्ञ डॉक्टर, सीटी स्कैन और डायलिसिस यूनिट कब आएगी?
– रेलवे डिवीजन का निर्णय कब होगा?
– स्थानीय उद्योग और रोजगार के अवसर कब मिलेंगे?
जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल
स्थानीय जनता का आरोप है कि जनप्रतिनिधि केवल चुनावी वक्तव्यों में नैनपुर को याद करते हैं। सत्ता में आने के बाद विकास कार्यों की प्राथमिकता सूची में नैनपुर नहीं आता। लंबे वर्षों से भेजे गए प्रस्ताव फाइलों में दबे हैं।
- विकास के लिए जरूरी कदम
- तत्काल नैनपुर को जिला घोषित करना।
- महिला स्नातक महाविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय की स्थापना।
- शासकीय अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के साथ सीटी स्कैन और डायलिसिस यूनिट लगाना।
- रेलवे डिवीजन या उपडिविजन की स्थापना।
- औद्योगिक क्षेत्र का विकास और रोजगार के लिए प्रशिक्षण केंद्र।
- छात्रावास, पुस्तकालय, खेल मैदान और सांस्कृतिक केंद्रों का निर्माण।
बढ़ता हुआ जनाक्रोश
नैनपुर की जनता अब धैर्य खोती जा रही है। विकास के लिए निरंतर मांगों के बावजूद जब तक शासन-प्रशासन जागरूक नहीं होगा, तब तक नैनपुर का भविष्य अधर में ही रहेगा। जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा है कि वे केवल भाषण न दें, बल्कि ज़मीनी कार्य को प्राथमिकता दें।
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