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रेल जंक्शन नहीं, संकट जंक्शन बनता नैनपुर

 


रेल जंक्शन नहीं, संकट जंक्शन बनता नैनपुर


  • रेलवे की चारधारी धुरी पर दम तोड़ता नगर 

  • ओवरब्रिज बना जनआक्रोश का विषय


नैनपुर: मध्य भारत की रेलवे नाभि

विशेष रिपोर्ट-  नैनपुर नगर, मंडला ज़िले का हृदयस्थल और भारत के सबसे पुराने ग्रामीण रेलवे जंक्शनों में एक, चार दिशाओं में फैले रेल मार्गों के कारण रेलवे लॉजिस्टिक्स का महत्त्वपूर्ण केंद्र है।यहाँ से प्रतिदिन 20 से अधिक ट्रेनें, जिनमें 10 मालगाड़ियाँ और 10 से अधिक यात्री ट्रेनें शामिल हैं, गुजरती हैं।

नैनपुर, रेलवे के लिए जितना उपयोगी है, उसका दसवां हिस्सा भी नगरवासियों के जीवन को नहीं लौटाया जा रहा।


आवागमन की नाड़ी पर स्थायी अवरोध


नैनपुर की मुख्य सड़क, जो शासकीय चिकित्सालय, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तहसील, पुलिस थाना और नगर बाजार को जोड़ती है — उसी पर यह फाटक नगर के जीवन-प्रवाह को बाधित करता है। ट्रेन के हर गुजरने पर जैसे धमनियों में रक्तचाप रुक जाता है। एंबुलेंस में तड़पते मरीज, स्कूली छात्र जिनकी परीक्षा छूटती है, और व्यापारी जिनका व्यापार ठप होता है — ये अब प्रतिदिन की पीड़ा बन चुकी है।


लोकनायकों की चुप्पी पर प्रश्नचिह्न


नगरवासियों द्वारा वर्तमान विधायक संपतिया उइके, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक दर्जनों ज्ञापन, प्रतिवेदन एवं मांग-पत्र भेजे जा चुके हैं।

जनता ने लिखा, विनती की, अनुरोध किया — परंतु परिणाम केवल मौन रहा। नैनपुरवासियों की पीड़ा को वोटबैंक के बाद भुला दिया गया।


रेलवे को मुनाफा, नगर को मुसीबत


यह वही रेलवे है जिसे नैनपुर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का माल ढुलाई शुल्क प्राप्त होता है।

लेकिन उसी नगर के लोग, जो रेलवे के हर धक्के को झेलते हैं, उन्हें एक पुल के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।



*"ओवरब्रिज नहीं, तो जीवन नहीं" — जनमानस की पुकार*


*शहर के प्रमुख समाजसेवी श्री सत्यनारायण खंडेलवाल कहते हैं —*


> "यह अब विलासिता नहीं, यह जीवन की अनिवार्यता बन चुकी है।

ओवरब्रिज का निर्माण नगर को जाम और पीड़ा से मुक्ति दिला सकता है।"



स्थानीय व्यापारी अजय जायसवाल कहते हैं 


> "ट्रकों का माल समय पर नहीं पहुँच पाता, आर्थिक गतिविधियाँ अवरुद्ध हैं, व्यापार चौपट हो रहा है।"


जनांदोलन की पदचापें तेज होती जा रही हैं


अब स्थिति शांत नहीं है। व्यापारी संगठन, विद्यार्थी परिषद, सामाजिक कार्यकर्ता, वृद्धजन एवं मातृशक्ति सभी एकस्वर में आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

"रेल रोको", "फाटक बंद आंदोलन", "जन घेराव" जैसे कार्यक्रमों की रणनीति तय की जा रही है। जनता कह रही है —


> "अब वादे नहीं, परिणाम चाहिए।"


*निष्क्रियता की पराकाष्ठा, संवेदनहीनता का उदाहरण*


नैनपुर जैसा रणनीतिक, ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर यदि आज तक एक रेलवे ओवरब्रिज से वंचित है, तो यह केवल विकास की कथाओं को खोखला करता है, बल्कि यह राज्य एवं केंद्र शासन की निष्क्रियता और प्रशासनिक असंवेदनशीलता की कलंकगाथा बन चुका है।

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