23 दिन में की माँ नर्मदा परिक्रमा, जारी हुआ पांच रूपए का डाक टिकिट
23 दिन में की माँ नर्मदा परिक्रमा, जारी हुआ पांच रूपए का डाक टिकिट
- साईकिल से की तीन हजार किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा
- भोपाल पोस्ट आफिस में जारी हुआ पांच रूपए का डाक टिकिट

मंडला - आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के 53 वर्षीय हेमंत खरे ने अपनी अटूट श्रद्धा और शारीरिक क्षमता का अद्भुत परिचय देते हुए साइकिल से माँ नर्मदा की तीन हजार किलोमीटर की कठिन परिक्रमा मात्र 23 दिनों में पूरी कर ली। उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की बड़ी परेशानी का सामना नहीं किया, जिसका श्रेय उन्होंने माँ नर्मदा की कृपा को दिया। बताया गया कि एमपीयूडीसी सोशल एक्सपर्ट हेमंत खरे मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड में कार्यरत हैं। इन्होंने विगत दिनों मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मॉ नर्मदा के संरक्षण के लिए जनजागरूकता के उद्देश्य के साथ सबसे कम दिनों में साइकिल से नर्मदा परिक्रमा की। इस उपलब्धि के लिए हेमंत खरे को डाक विभाग भोपाल द्वारा उन्हें सम्मानित किया है। इसके साथ ही इनके फोटो के साथ एक पांच रूपए का डाक टिकिट भी भोपाल पोस्ट आफिस से जारी किया है।

जानकारी अनुसार भोपाल के मुख्य डाकघर में हेमंत खरे की इस असाधारण उपलब्धि को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारतीय डाक विभाग ने पाँच रुपए का एक विशेष डाक टिकट जारी किया, जिस पर उनकी नर्मदा परिक्रमा की यात्रा की एक फोटो को दर्शाया गया है। यह सम्मान न केवल श्री खरे के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके समर्पण को भी रेखांकित करता है, क्योंकि उन्होंने अपनी इस लंबी यात्रा के लिए परिवहन के पर्यावरण अनुकूल साधन साइकिल का उपयोग करते हुए सबसे कम समय में अपनी परिक्रमा पूरी की।
दृढ़ इच्छा से 23 दिनों में पूरी की नर्मदा परिक्रमा
बताया गया कि अपनी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री खरे ने कहा कि माँ नर्मदा की उन पर विशेष कृपा रही, जिसके कारण वे इतनी कठिन यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा कर सके। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्हें प्रकृति के अद्भुत और मनोरम दृश्यों को देखने का अवसर मिला। इसके साथ ही विभिन्न स्थानों पर लोगों का स्नेह और सहयोग भी प्राप्त हुआ। उन्होंने नर्मदा नदी के तटों पर स्थित सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के स्थलों का भी भ्रमण किया, जिससे उन्हें इस पवित्र नदी और इसके आसपास के जीवन को गहराई से समझने का मौका मिला। बताया गया कि इतनी लंबी और कठिन साइकिल यात्रा को इतने कम समय में 23 दिनों में पूरा करना शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। हेमंत खरे ने अपनी तैयारी, दृढ़ इच्छा शक्ति और अनुशासित जीवनशैली के माध्यम से इस लक्ष्य को हासिल किया। उनकी यह यात्रा अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत है, जो शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का जज्बा रखते हैं।


पांच रूपए का जारी हुआ डाक टिकिट
विगत दिवस मुख्य डाकघर भोपाल में आयोजित सम्मान समारोह में डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों ने हेमंत खरे को बधाई दी और उनके इस अद्वितीय प्रयास की सराहना की। अधिकारियों ने कहा कि हेमंत खरे की यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक आस्था के समन्वय का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्री खरे का यह प्रयास अन्य लोगों को भी पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने और अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करेगा। बताया गया कि पाँच रुपए का विशेष डाक टिकट जारी करना भारतीय डाक विभाग की ओर से श्री खरे के सम्मान में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह डाक टिकट उनकी इस ऐतिहासिक यात्रा को चिरस्थायी बनाएगा और भविष्य में भी लोगों को उनकी इस प्रेरणादायक कहानी से अवगत कराता रहेगा।

साइक्लिस्ट हेमंत खरे की उपलब्धियां
बताया गया कि साइकिल से 184 घंटे में 3000 किमी की नर्मदा परिक्रमा। इसके साथ ही कई हाफ सेंचुरी और सेंचुरी राइड कर चुके। भारतीय साइक्लिस्ट 2025 से साइक्लिंग किंग पुरस्कार के विजेता रहे। टीम जीपीबीआरए आरआईओ की ओर से नियमित राइडर पुरस्कार मिल चुका। हरदा से भोपाल तक लंबी दूरी की साइकिल यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की। आईएएस अधिकारी के साथ साइकिल चलाना, हरदा से जोगा, हरदा जल महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में हरदा के आईएएस अधिकारी के साथ एक विशेष सवारी में भाग लिए और इसके लिए सम्मानित किया गया। देशभक्ति साइकिलिंग गतिविधि के अंतर्गत 26 जनवरी 2025 पर रचनात्मकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रदर्शन करते हुए स्ट्रावा पर जीपीएस का उपयोग करके भारतीय राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए एक योजनाबद्ध मार्ग पर साइकिल चलाना। सीनियर आईएएस राधे श्याम जुलानिया के साथ साइकिल चलाना और जुलानिया जी द्वारा स्टार राइडर का सम्मान दिया गया।

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