महिष्मति घाट में आयोजित हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
महिष्मति घाट में आयोजित हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
- कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री कहा अटल जी थे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी
मण्डला। भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जन्म शताब्दी वर्ष पर काव्यांजलि महिष्मति नगरी मण्डला के द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा एवं भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष सीए अखिलेश जैन मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। जिन्होंने कवि सम्मेलन के पूर्व मां नर्मदा की पंचचौंकी महाआरती की और मां नर्मदा के तट पर आयोजित कवि सम्मेलन में पहुंचे जहां पर मां सरस्वती एवं पंडित अटल बिहारी बाजपेयी के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्वलन किया।
यहां पर कवित्री सुमित्रा सरल ने मां सरस्वती की वंदना की। इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष प्रफुल्ल मिश्रा ने मुख्य अतिथि एवं कवियों का पुष्पमाला से स्वागत किया और इस आयोजन की सम्पूर्ण जानकारी उपस्थित अतिथि और श्रोताओं को दी। इस कवि सम्मेलन में देश के जाने माने वरिष्ठ कवि विष्णु सक्सेना गीतकार, कवि सुदीप भोला (लपेटे में नेता फेम), कवयित्री सुमित्रा सरल श्रृंगार रस, कवि सुमित ओरछा सबरस मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने कहा कि भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जन्म शताब्दी वर्ष पर काव्यांजलि महिष्मति नगरी मण्डला के द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन सराहनीय है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक श्री वाजपेयी भारत को सभी राष्ट्रों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। वह ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व करते थे जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हजार वर्षों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और पचास से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया।
- अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। इस दौरान सरदार पटैल विश्व विद्यालय के कुलाधिपति दिवाकर सिंह, मां रेवती कॉलेज के संचालक अभिषेक चौबे, समाजसेवी डॉ आशीष ज्योतिषी, समाजसेवी गिरीश चंदानी का शॉल श्रीफल व स्मृति चिन्ह से अतिथियों ने सम्मान किया। वहीं कार्यक्रम समापन के दौरान कवि विष्णु सक्सेना गीतकार, कवि सुदीप भोला (लपेटे में नेता फेम), कवयित्री सुमित्रा सरल श्रृंगार रस, कवि सुमित ओरछा सबरस का मंच से सम्मान किया गया। यहां पर कवियों को स्मृति चिन्ह प्रमाण पत्र के साथ शॉल श्रीफल भेंट करते हुए उनके मंगल मय जीवन की कामना की गई।
- वहीं जिले के प्रमुख कवि श्याम बैरागी राजेश ठाकुर, शरद नारायण खरे, नवीन जैन अकेला, इन्द्रेश बब्बल खरया, हेमंत श्रीवास्तव, साधना दुबे, रामकुमार सिंह चौहान, श्रीमति कल्पना पांडे, श्रीमति सुनीता सोनी, श्रीमति रेखा ताम्रकार, श्रीमति प्रतिमा बाजपेयी, श्रीमति नवनीता दुबे, श्रीमति योगिता चौरसिया, श्रीमति रश्मि बाजपेयी, श्रीमति प्रीति दुबे, श्रीमति डॉ संध्या शुक्ल, श्रीमति मालती लखेरा, श्रीमति अन्नपूर्णा त्रिपाटी, आशा अवस्थी एवं भयंकर बोस का मंच से शॉल श्रीफल एवं प्रमाण पत्र से अतिथि एवं कवियों ने सम्मान किया। मंच का संचालन डॉ आशीष ज्योतिषी ने किया वहीं आभार प्रदर्शन समाजसेवी नीरज अग्रवाल द्वारा किया गया। यहां पर उपस्थित कवियों ने अपनी बेवाक शैली से श्रोताओं का दिल जीत लिया। श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाए और तालियों से नर्मदा तट गूंज उठा। देर रात तक अनवरत कार्यक्रम सुचारू संचालित होता रहा। इस कार्यक्रम में कलेक्टर सामेश मिश्रा, पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा, वरिष्ठ भाजपा नेता विनय मिश्रा, सांसद प्रतिनिधि जयदत्त झा, जिला पंचायत अध्यक्ष संजय कुशराम, अभिनव सिहारे, सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय प्राचार्य कमलेश अग्रहरि, समाजसेवी सुनील मिश्रा, सचिन शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमति मंजू कछवाहा, भाजपा महिला प्रदेश मंत्री शशि पटैल, महिला मोर्चा नगर अध्यक्ष श्रीमति उमा यादव सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। मुख्य कवि विष्णु सक्सेना ने लोगों की मांग पर उन्होंने अपने एक नये प्रेम गीत का पाठ किया। गीत की पंक्तियां इस प्रकार हैं-तन और मन हैं पास बहुत फिर सोच सोच में क्यों दूरी है हम बदलें तो कहा बेवफा वो बदलें तो मजबूरी है गंगा के तट बैठ रेत के बना बना के महल गिराए उसको हमने हमने उसको जाने कितने सपन दिखाए झूठ मूट को मांग भरी थी हाथ अभी तक सिंदूरी है वो बदलें तो कहा बेवफा हम बदलें तो मजबूरी है। तो वहीं कवि सुदीप भोला जो कि जबलपुर जिले से हैं। ने अपने ओजस्वी काव्य पाठ से कवि सम्मेलन में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया। सुदीप भोला की देशभक्ति की कविताओं ने जहाँ इनके सुनने वालों को विभोर किया है वहीं हास्य-व्यंग्य की कविताओं ने श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। इनकी हास्य रचना मेरी साली भोली भाली ने दर्शकों का बहुत मनोरंजन किया है। कवि सुमित ओरछा ने अपनी पीढ़ी के सबसे लोकप्रिय वीर रस कवियों में से एक रहे हैं।
इन्होंने देश के वर्तमान हालात के साथ महिलाओं के द्वारा सोशल मीडिया में परोसी जा रही रील के बारे में उपस्थित श्रोताओं को वास्तुस्थिति बताई उन्होंने धर्म समाज के साथ सनातन धर्म के बारे में भी खुलकर अपनी बात रखी। कवि सुमित ओरछा की कविताएँ देशभक्ति, सामाजिक मुद्दों, और धार्मिक विषयों पर केंद्रित होती हैं, जिनमें वे अक्सर भारत की संस्कृति और इतिहास को उजागर करते हैं। जैसे देशभक्ति क्यू खालिस्तान मांग रहे जब सारा हिंदुस्तान तुम्हारा है, हमने देश बनाया सुई तक नहीं बनती थी इस देश में, सामाजिक मुद्दे तुम्हारे सभी उड़ उड़ के देखेंगे। वहीं श्रृंगार रस की कवयित्री सुमित्रा सरल ने श्रृंगार के गीत कभी जब डूब जाती हूँ तो नैया देख आती हूँ मैं मानस में लिखा पावन सवैया देख आती हूँ। मेरे मंदिर न जाने का सम्बन्ध सखियों से क्या बोलूं, मैं छत पर शाम को अपना कन्हैया देख आती हूँ सुनाकर श्रृंगार रस की छटा बिखेरी। इसके अलावा सुमित्रा सरल ने श्रोताओं को श्रृंगार के विभिन्न रूपों का कविता के माध्यम से परिचित कराया।
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