चैत्र नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में रही भीड़
चैत्र नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में रही भीड़
- जल ढारने लगी रही कतार, नगर हुआ देवीमय
- आज होगी माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा

मंडला - चैत्र नवरात्र के पहले दिन नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के देवी मंदिरों में भक्तों का सैलाब माँ दुर्गा की पूजन अर्चन के लिए लगा रहा। हर तरफ देवी मां के जयकारों और मंत्रोच्चार की गूंज रही। नगर के सिद्ध पीठों, देवी मंदिरों में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा। हाथ में सिंदूर, नारियल, चुनरी और फूल-माला लिए कतार में खड़े श्रृद्धालु जय माता दी के जयकारे लगाते हुए बारी-बारी से उनके दर्शन कर पूजा-अर्चन किये। पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के दौरान मां दुर्गा का व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना करने से देवी मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नवरात्र वर्ष में दो बार आते हैं। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पहले रूप शैलुपत्री और बाकी आठ दिन मां के अन्य रूपों की पूजा की जाती है।

हुई घट स्थापना
देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठों में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना हुई। पहले दिन भक्तों ने मां शैल पुत्री की पूजा-अर्चना की। मंदिरों में सुबह से ही माता के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था जो देर रात तक चलता रहा। श्रृद्धालुओं ने माता को जल अर्पित कर मंगल कामना की। देवी मंदिरों में विविध अनुष्ठान और भजन-कीर्तन शुरू हुए। भक्त नवरात्र में माता की आराधना में लीन रहेंगे। पहले दिन मां शैलपुत्री का विशेष श्रृंगार हुआ।

जल ढारने लगी रही कतार
सुबह से ही शहर की विभिन्न देवी मंदिरों, सिद्धपीठ में भक्तों की भीड़ जल ढारने के लिए लग गई। नगर की खैरमाई, सिंहवाहिनी मंदिर, रपटाघाट दुर्गा मंदिर, मरहाई माता मंदिर, काली मंदिर, पीपल घाट मंदिर, उपनगर के ज्वालाजी मंदिर, बूढ़ीमाई मंदिर, नीम वाली माता, खैरमाई मंदिर, सिद्ध पीठ शीतला मंदिर, बस स्टेंड खैरमाई मंदिरो समेत अन्य देवी के दरबारों में भक्तों की कतार जल ढारने लगी रही। यह क्रम आठ दिनों तक सभी देवी मंदिरों में चलेगा।
आज होगी माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा

मां दुर्गा के उपासक और भक्त को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली मां ब्रहचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रम्हचारिणी का है। माता ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बहुत ही सात्विक और भव्य है। यहां ब्रम्ह का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रम्हचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रम्हचारिणी नाम से अभिहित किया गया।
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