इतनी बेहतरीन और इतनी बड़ी, तीन मंज़िला लाइब्रेरी देखकर मैं वैसे ही दंग था, पर इससे ज़्यादा आश्चर्य यह सुन कर हुआ, जब बेटे ने बताया कि न्यूयार्क के हर ज़ोन में इस तरह की लायब्रेरी बनी हुई हैं। कई हैं इससे बेहतर और समृद्ध भी। हैरान हूँ !
न्यूयॉर्क/इतनी बेहतरीन और इतनी बड़ी, तीन मंज़िला लाइब्रेरी देखकर मैं वैसे ही दंग था, पर इससे ज़्यादा आश्चर्य यह सुन कर हुआ, जब बेटे ने बताया कि न्यूयार्क के हर ज़ोन में इस तरह की लायब्रेरी बनी हुई हैं। कई हैं इससे बेहतर और समृद्ध भी। हैरान हूँ !
लाखों किताबें और कंप्यूटर भी अनेक। कोई रोक टोक नहीं। एक घण्टे, चाहे दस घण्टे पढ़िये इत्मिनान से। यदि आपकी वांछित किताब लायब्रेरी में उपलब्ध नहीं है तो किसी भी अन्य लायब्रेरी से मँगा कर आपको दी जायेगी। पढ़ते पढ़ते थक कर सो भी जाँए, तो कोई नहीं टोकेगा ! इतनी शानदार तवज्जो, पढ़ने वालों को !
सबसे ऊपर की मंज़िल पर शानदार कैंटीन भी। इत्मिनान से खाते पीते पढ़ें। हमारे यहाँ कोर्स की किताबों से इतर कुछ पढ़ने की छात्रों मे भी न ललक, न इच्छा। शिक्षा के नाम पर सिर्फ डिग्री लें और लग जाँय एक अदद नौकरी की तलाश मे।
किताबें ही ज्ञान का श्रोत होती हैं और ज्ञान ही सभ्य समाज का निर्माण करता है। अफ़सोस हमारे यहाँ कोई पहल नहीं, न सरकारी, न ग़ैरसरकारी। भूले से कहीं छोटी मोटी लायब्रेरी खोली भी गई है, तो संचालन ऐसे अधकचरे हाथों मे, कि बजाय समृद्ध होने के, मरणासन्न कर दी जा रही। पाखण्ड और भ्रष्टाचार से फ़ुर्सत मिले तब तो कोई पहल हो ?
यहाँ एक बार में 50 किताबें तक ईशू कराई जा सकती हैं। बेटा भी मेंबर है सो क़रीब दस किताबें ईशू करा लाये।
अब सबको समझ लेना चाहिये कि ये गंदी सियासत आपको कहाँ और क्यों उलझाये रखे हुए है ? किताबें पढ़िये। किसी को उपहार देना हो तो किताबें दीजिये। लायब्रेरी है कहीं तो उसे ज़िंदा रखिये और समृद्ध कर
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