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सुंदर काण्ड प्रारंभ होने के पूर्व सांसद पाटिल जी हुए भावुक निमाड़ की नैय्या,निमाड़ के लोकतंत्र की गाथा के अपराजित अद्वितीय योद्धा *स्व.पूर्व सांसद मान.श्री.नंदकुमारसिंह जी चौहान* के प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी स्मृति मे

बुरहानपुर/ खंडवा सांसद द्वारा आयोजित सुंदर काण्ड का आज रात्रि सुंदर नगर स्थित रेवा गुर्जर भवन मे स्व.सांसद मान.श्री.नंदू भैयाजी के चित्र पर माल्यार्पण कर  श्रीराम जी मां सीता लखन एवम हनुमान के चित्र  पर दीप प्रज्वलित कर प्रारम्भ किया। *सांसद ज्ञानेश्वर जी पाटिल* ने अपने उद्बोधन मे कहा कि, *स्व.श्री.नंदू भैय्याजी* ने अपने राजनीति की यात्रा साधारण परिवार से शुरू की *ग्राम शाहपुर से पड़ाव दर पड़ाव* वह आगे बढ़ते गए, व अपनी पहचान प्रदेश एवम् देश स्तर पर स्थापित की थी।  *मैने 1989* से उनका साथ पाया *नंदू भैया* सदा कहते थे, कि राजनीति करना हो तो एक मूल मंत्र याद रखो " *पैर मे चक्कर, मुख मे शक्कर व सर पर बर्फ की लादी* रखकर चलना चाहिए। उसी मूल मंत्र पर मैं चलने का प्रयास कर रहा हु। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला उसी के कारण आज मै इस मुक्कम पर हू।  उनकी जितनी बाते करे कम होंगी। *सांसद श्री.पाटिल जी* ने आगे कहा कि, *मेरे जीवन में एक साथ कई सदमे* आए सर्व प्रथम *मेरे मार्गदर्शक नंदू भैयाजी* बीमार हुए यकीन नहीं होता था,  फिर खबर आई अब वे हमारे बीच नहीं रहे, मैने सदा उन्हें मेरा बड़ा भाई माना था। *उसके 03 दिन पूर्व ही मेरे पूज्य पिताजी* का स्वर्गवास हुआ *इसी बीच 03/04 दिन के अंतराल से मेरी पूज्य माताजी*  भी मुझे छोड़ गई। इतने *आघात सहने* की शक्ति मेरे मे नही थी, लेकिन *नंदू भैयाजी* की सदा जीने की सीख व मुसीबत मे फिर से स्वयं को तैयार  करने के सबक  ने मुझे शक्ति प्रदान कर फिर से खड़ा किया। उनकी कमी सदा खलती रहेंगी कहते कहते *सांसद श्री ज्ञानेश्वर जी पाटिल* भावुक हो गए उनका गला रूंध गया।  आगे कुछ बोलने की शक्ति नही रहते हुए उन्होंने *सुंदर काण्ड के वाचक पंडित प्रेम प्रकाश जी दुबे* से कहा कि,  आज ऐसा कुछ करे, कि *ईश्वर* उन्हें पुनः हमारे बीच भेजे ताकि उनकी कमी पूरी हो सके।  अपने उद्बोधन के पूर्व *सांसद श्री पाटिल जी ने पंडित प्रेम प्रकाश जी दुबे मुंबई* का शाल श्रीफल देकर सम्मान किया। *श्री गजेन्द्र जी पाटिल* ने पंडित जी के साथियों का शाल श्रीफल देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का *सफल संचालन अधिवक्ता श्री.आदित्य जी प्रजापति* ने किया।

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