कोंडाना विजय (तान्हाजी) साहसिक खेल का आयोजन,गड़ आला पण सिंह गेला-दुबे
बुरहानपुर(किशोर चौहान)- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रह्मपुर संयुक्त विद्यार्थी शाखाओं द्वारा कोंडाना विजय (तान्हाजी) साहसिक बडा़ खेल का आयोजन रविवार को स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर सरस्वती नगर में किया गया।जिसमें नगर की संयुक्त विद्यार्थी शाखाओं ने भाग लिया।
समापन अवसर पर जिला कार्यवाह श्री गजानन दुबे का विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ उन्होंने कहा कि तानाजी मालुसरे छत्रपति शिवाजी महाराज के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान मराठा सरदार थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मराठा साम्राज्य, हिंदवी स्वराज्य स्थापना के लिए सूबेदार (किल्लेदार) की भूमिका निभाते थे । तानाजी छत्रपति शिवाजी महाराज के बचपन के मित्र थे वे बचपन मे एक साथ खेले थे वें 1670ई. में सिंहगढ़ की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं। उस दिन सुभेदार तानाजी मालुसरेजी के पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी हो रही थी, तानाजी मालुसरे जी छत्रपती शिवाजी महाराज जी को आमंत्रित करने पहुंचे तब उन्हें ज्ञात हुआ की कोंढाणा पर छत्रपती शिवाजी महाराज चढ़ाई करने वाले हैं, तब तानाजी मालुसरे जी ने कहा राजे मैं कोंढाणा पर आक्रमण करुंगा |अपने पुत्र रायबा के विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्य को महत्व न देते हुए उन्होने शिवाजी महाराज की इच्छा का मान रखते हुए कोंढाणा किला जीतना ज़्यादा जरुरी समझा।
छत्रपती शिवाजी महाराज जी की सेना मे कई सरदार थे परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने वीर तानाजी मालुसरे जी को कोंंढाना आक्रमण के लिए चुना और कोंढणा "स्वराज्य" में शामिल हो गया लेकिन तानाजी वीर गति को प्राप्त हुए। छत्रपति शिवाजी ने जब यह समाचार सुनी तो वो बोल पड़े "गढ़ तो जीत लिया, लेकिन मेरा "सिंह" नहीं रहा (मराठी - गढ़ आला पण सिंह गेला)।
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