कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के साथ ही परंपरागत कृषि पद्धति का उपयोग भी करना होगा-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस*
*कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के साथ ही परंपरागत कृषि पद्धति का उपयोग भी करना होगा-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस*
*खजुराहो में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रौद्योगिकी अनुपयोग अनुसंधान, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और दीनदयाल कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट के संयुक्त तत्वावधान में 26वीं जोनल स्तरीय कार्यशाला हुई*
बुरहानपुर (राजूसिंघ राठौड) हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ‘‘मोर क्रॉप-पर ड्रॉप‘‘ हेतु आग्रही हैं तथा श्री नरेंद्रसिंह तोमर जी के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय भी इसी बात पर जोर दे रहा है। इस लक्ष्य को पूरा करने हेतु हमें कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के साथ ही परंपरागत कृषि पद्धति का उपयोग भी करना होगा, जिससे हम ‘‘प्रति बूंद-अधिक फसल‘‘ सुनिश्चित कर सके। अब समय आ गया है कि हमे फूड सेक्युरिटी के साथ-साथ पोषण संबंधी कृषि पर भी ध्यान देना होगा जिससे हमारी आने वाली पीढि़यों को हम पोषण पूर्ण आहार दे सके। हमें भविष्य में कृषि जरूरतों को पूरा करने के लिए जल संवर्धन की दिशा में कार्य करना होगा और इसी उद्देश्य के साथ ही हमारे प्रधानमंत्री मा.नरेंद्र मोदी जी ने भी जल की महत्ता को प्राथमिकता देकर जल शक्ति मंत्रालय का निर्माण किया है।
यह विचार पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने खजुराहो में आयोजित कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्रों की 26वीं क्षेत्रीय कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर व्यक्त किए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और दीनदयाल कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट के संयुक्त तत्वावधान में 26वीं जोनल स्तरीय कार्यशाला हुई। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर उपस्थित रहे।
कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार किसानों को लाभांवित करने का हरसंभव प्रयास कर रही है। किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि देकर हमारी सरकार ने छोटे किसानों को संजीवनी देने का काम किया है। बुंदेलखंड के ग्रामीण विकास का लक्ष्य तय हो, योजनाएं तैयार की जाएं क्योंकि हमारी योजना भविष्य में जीरो बजट की खेती का है। कार्यशाला में आए कृषि वैज्ञानिक बुंदेलखंड अंचल की कृषि क्षमताओं पर अवश्य चर्चा करें ताकि इस क्षेत्र में कृषि और किसानों का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान की आय को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं इसलिए भारत सरकार ने कृषि बजट में अब तक की सबसे बढ़ोतरी की है। श्री तोमर ने कहा कि बुंदेलखंड के खजुराहो में आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य रूप से बुंदेलखंड अंचल की कृषि क्षमता पर चर्चा जरूर होनी चाहिए। इस क्षेत्र में घटता जल स्तर, सूखा, पलायन आदि चिंता के विषय हैं। यहां की मिट्टी को कैसे उपजाऊ बनाया जा सकता है और मिट्टी के अनुसार किन फसलों से लाभ मिलेगा, इस कार्यशाला में इन विषयों पर विचार हो। हर गरीब का घर बने, सबको पीने का पानी मिले और किसान मजबूत हो यह हमारा लक्ष्य है। अब उन फसलों की पद्धति विकसित की जानी चाहिए जो कम पानी में भरपूर पैदावार दे सकें। किसान को हर स्तर की जानकारी दी जानी जरूरी है, जिसमें कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका अहम है। मनरेगा योजना हमेशा के लिए सही नहीं है। यह समय गरीबी मुक्त योजना बनाने की है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा कम पानी वाली फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना सराहनीय। मध्यप्रदेश में सोयाबीन फसल हेतु रेज्ड बेड तकनीक उपयोग कर जल संरक्षण द्वारा सोयाबीन उत्पादकता बढ़ायी जा रही है। कृषि विज्ञान केंद्र क्लस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन एवं 97 सीड हब द्वारा उच्च गुणवत्ता वाला बीज पैदा करके दलहन की उत्पादकता में बढ़ोतरी हो रही है। देश में इस वर्ष जिला कृषि मौसम इकाई को 281 कृषि विज्ञान केंद्रों में स्थापित किया जा रहा है, जिनमें से 23 बुंदेलखण्ड क्षेत्र में होंगी।
इस अवसर पर खजुराहो सांसद बी.डी.शर्मा, महोबा सांसद पुष्पेंद्रसिंह चंदेल, दीनदयाल कृषि विज्ञान केंद्र के अभय महाजन, महानिदेशक कृषि नई दिल्ली अशोक कुमारसिंह, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. पी.के.बिसेन, कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के एस.के.राव संबोधित किया। स्वागत भाषण अटारी जबलपुर के निदेषक डॉ.अनुपम मिश्रा ने दिया।
इस मौके पर पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती ललिता यादव, भाजपा जिला अध्यक्ष मलखान सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक विजय बहादुर सिंह, पूर्व बीडीएम अध्यक्ष उमेश शुक्ला, हरनारायण अवस्थी, श्याम बाबू त्रिवेदी, अरविंद पटेरिया, जयराम चतुर्वेदी, दीपक खरे, बाबूराम सिंह सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने वाटर सेंट्रिक व ड्राउट प्रूफिंग तकनीकों जैसे ज्वलंत विषयों पर गहन चर्चा करने हेतु सम्मेलन के आयोजन हेतु अटारी, जबलपुर को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी, साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस पर सम्मानित किए गए क्षेत्र के उत्कृष्ट कृषकों, वैज्ञानिकों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों को बधाई दी तथा अतिथियों द्वारा शील्ड देकर सम्मानित किया गया।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीसी एवं वैज्ञानिक वीणापाणी श्रीवास्तव ने बताया कि यह वर्कशाप 3 दिवसीय है। जहां प्रतिदिन वैज्ञानिक कृषि को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए अपने शोध पर व्याख्यान देंगे। इसके लिए अनेक सत्र चलेंगे। इस आयोजन में दोनों प्रांतों से करीब 100 प्रदर्शनी कृषि एवं कृषि से संबंधित संस्करणों की लगाई गई हैं। जिनका अवलोकन अतिथियों ने अधिकारियों एवं पार्टी पदाधिकारियों के साथ किया ।
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