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मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर योग-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस*





बुरहानपुर म प्र( राजूसिंघ राठौड)   मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर योग-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस*





बुरहानपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के स्वास्थ आंदोलन के अंतर्गत आज श्रीकृष्ण मंगल परिसर में कई साधकों ने सामूहिक रूप से पांचवा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, जिसमें सिंधी बस्ती प्रज्ञापीठ, सेवासदन योग कक्षा, इंदिरा कॉलोनी प्रज्ञा पीठ, लालबाग प्रज्ञा पीठ, गायत्री शक्तिपीठ योग कक्षा के सभी साधकों के साथ 





नगर के गणमान्यजनों ने बड़ी संख्या में भागीदारी कर सामूहिक योग किया। झारखंड के रांची से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के योग कार्यक्रम का लाईव प्रसारण कर उपस्थितजनों ने योग किया। प्रातः 5.30 से 8 बजे तक चले कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सेवा सदन शिक्षा समिति की अध्यक्ष श्रीमती तारीका ठाकुर उपस्थित रही। कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन गायत्री परिवार के प्राकृतिक चिकित्सक सचिन पाटिल ने किया। इस दौरान सिंधी बस्ती, सेवा सदन, इंदिरा कॉलोनी, लालबाग एवं गायत्री शक्तिपीठ बुरहानपुर आदि स्थानों पर चल रही योग कक्षाओं के 20 से अधिक योग शिक्षकों को सम्मानित किया गया।






अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर श्रीमती चिटनिस ने बुरहानपुर में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित सामूहिक योग अभ्यास में सहभागिता कर बच्चों एवं समाजजनों के साथ योग किया। इस दौरान उपस्थितजनों ने योग को अनिवार्य रूप से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया।





पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज ही के दिन को योग दिवस मनाने के पीछे संयुक्त राष्ट्र को बेहद तार्किक और प्राकृतिक वजह बताई थी। दरअसल उत्तरी गोलार्द्ध में 21 जून सबसे लंबा दिन होता है। लिहाजा दुनिया के अधिकांश देशों में इस दिन का खासा महत्व है। आध्यात्मिक कार्यों के लिए भी यह दिन अत्यंत लाभकारी है। भारतीय मान्यता के अनुसार आदि योगी शिव ने इसी दिन मनुष्य जाति को योग विज्ञान की शिक्षा देनी शुरू की थी। इसके बाद वे आदि गुरु बने। यूनेस्को ने योग को भारत की मानवता को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता दी। 




श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि योग मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य कायम करता है। योगःकर्मसु कौषलम यानी योग से कर्मां में कुषलता आती है। भगवान षिव को पहले योगी या आदियोगी मानते है। षिव को पहला गुरू या आदि गुरू भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय मान्यता के अनुसार आदि योगी शिव ने इसी दिन मनुष्य जाति को योग विज्ञान की शिक्षा देनी शुरू की थी। इसके बाद वे आदि गुरु बने।





श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि आयुष मंत्रालय द्वारा इस वर्ष का थीम ‘‘दिल के लिए योग‘‘ है। बदलती जीवनषैली के चलते लोगों में दिल की बीमारियां बढ़ रही है। नियमित योग करके दिल के रोग ही नहीं अन्य बीमारियों से भी बच सकते है। इसलिए लोगों को हर दिन योग करना चाहिए। 





श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हिंदू धर्मग्रंथों मसलन, रामायण, महाभारत, उपनिषद में तो योग का जिक्र कई जगहों पर मिलता है। साथ ही बौद्ध और जैन परंपराओं में भी इसकी बात की गई है। हालांकि, योग के सबसे अधिक प्रसार-प्रसार का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। महर्षि पतंजलि ने योग की प्रक्रिया को व्यवस्थित किया और इसके महत्व को व्यापक तौर पर दूसरे ऋषियों और योग गुरुओं को समझाया। महर्षि पतंजलि ने योग के सूत्रों को प्रतिपादित किया, जो योग दर्शन के स्तंभ माने गए। साथ ही महर्षि ने धर्म से इतर योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। 




इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती तारीका ठाकुर ने कहा की योग द्वारा स्वस्थ जीवन जीने की विधा संपूर्ण विश्व को भारत ने सिखाई थी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के द्वारा इस इस विद्या का लाभ अब संपूर्ण विश्व ले रहा है। आज करोड़ों की संख्या में विश्व के अनेक देश योग कर रहे हैं। सेवासदन कॉलेज में आम नागरिकों के योग करने हेतु प्रज्ञा हॉल का निर्माण किया गया है। जिसमें नियमित रूप से निःशुल्क योग कक्षा चलाई जा रही है।



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