महिष्मति नगरी में शुरू हुई वर्ष भर उत्तरवाहिनी परिक्रमा की नई परंपरा
महिष्मति नगरी में शुरू हुई वर्ष भर उत्तरवाहिनी परिक्रमा की नई परंपरा
- चैत्र माह के अलावा पहली बार 25 धर्मप्रेमियों ने किया उत्तरवाहिनी परिक्रमा का संकल्प
मंडला . मां नर्मदा से महिष्मति नगरी मंडला की महिमा और गरिमा हजारों वर्षों से जुड़ी हुई है। प्राचीनकाल में भगवान वेदव्यास की कृपा से ही नर्मदा जी ने अपना मार्ग बदलकर यहां मंडलाकार रचना की और शहर को उत्तरवाहिनी प्रवाह का आशीर्वाद प्रदान किया।
बताया गया कि अभी तक यह उत्तरवाहिनी परिक्रमा मुख्य रूप से केवल चैत्र महीने में ही की जाती थी। हालांकि इस वर्ष शहर के कुछ श्रद्धालुओं ने इस दिव्य प्रवाह को आत्मसात करने के उद्देश्य से चैत्र माह से पहले ही परिक्रमा शुरू कर दी है। 13 दिसंबर की सुबह 7 बजे शहर के 25 धर्मप्रेमियों ने सामूहिक परिक्रमा करने के लिए श्री व्यास नारायण मंदिर, किला घाट, मंडला पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जहां से सभी ने माँ नर्मदा की उत्तरवाहिनी परिक्रमा शुरू की।

संकल्प लेकर परिक्रमा में निकले भक्त
बताया गया कि मां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति के सुधीर कांसकार ने परिक्रमा करने वाले समूह को पूरे रूट चार्ट के बारे में विस्तार से समझाया। इसके बाद पंडित रामायण दुबे ने सभी श्रद्धालुओं का संकल्प पूजन कराकर उन्हें तट परिवर्तन के लिए रवाना किया।
भक्तों की जागी उम्मीद
आयोजकों ने बताया कि यह समूह पिछले 4-5 वर्षों में पहला ऐसा समूह है जो चैत्र माह के अलावा अन्य समय में परिक्रमा के लिए आया है। माँ नर्मदा प्रेमियों से चर्चा के बाद यह उम्मीद जगी है कि यदि यह परंपरा शुरू होती है तो वर्ष भर उत्तरवाहिनी परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं का मंडला आगमन होता रहेगा।
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