कान्हा से जंगली हाथी बांधवगढ़ के लिए रवाना
कान्हा से जंगली हाथी बांधवगढ़ के लिए रवाना
कान्हा टाइगर रिजर्व से जंगली हाथी बांधवगढ़ के लिए रवाना
- सैटेलाइट रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा जाएगा जंगल में हाथी, मूवमेंट पर रखी जाएगी नजर

नैनपुर- मप्र वन विभाग ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और जंगली हाथियों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 9 सितंबर को कान्हा टाइगर रिजर्व से एक जंगली हाथी को सड़क मार्ग से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र में छोडऩे के लिए रवाना किया गया। यह हाथी उन हाथियों के दल का हिस्सा था जो जनवरी-फरवरी 2024 में छत्तीसगढ़ से बांधवगढ़ के आसपास के गाँवों में घुस आए थे। इन हाथियों ने ग्रामीणों के घरों, फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया था और कुछ लोगों को घायल भी कर दिया था। इसके बाद मानव जीवन की सुरक्षा और हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग ने इन हाथियों को पकडऩे का आदेश जारी किया था।


इलाज के बाद हुई वापसी की तैयारी
पकड़े गए हाथियों में से एक को बांधवगढ़ में रखा गया था, जिसे पूरी तरह स्वस्थ पाए जाने के बाद 20 नवंबर 2024 को जंगल में छोड़ दिया गया था। वहीं कान्हा टाइगर रिजर्व में लाए गए हाथी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण तुरंत नहीं छोड़ा जा सका। उसे किसली परिक्षेत्र के कोपेडबरी हाथी कैंप में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। बताया गया कि विगत माह 18 अगस्त को एलिफेंट एडवायजरी कमेटी की बैठक में इस हाथी को पूरी तरह से स्वस्थ और प्राकृतिक व्यवहार के लिए सक्षम पाया गया। समिति ने यह सुझाव दिया कि इस जंगली हाथी को सैटेलाइट रेडियो कॉलर लगाकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खुले वन क्षेत्र में छोड़ा जाए, जिससे उसके व्यवहार और मूवमेंट पर वैज्ञानिक निगरानी रखी जाएगी।


सुरक्षित पुनर्वास के लिए सकारात्मक कदम
बताया गया कि मंगलवार सुबह 8 बजे कान्हा टाइगर रिजर्व से इस जंगली हाथी को सुरक्षित रूप से एक परिवहन ट्रक द्वारा बांधवगढ़ के लिए रवाना किया गया। इस दौरान क्षेत्र संचालक रवींद्र मणि त्रिपाठी, उपसंचालक पुनीत गोयल और वन्यजीव चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल सहित अन्य वन अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। वन विभाग की यह पहल न केवल स्थानीय ग्रामीण समुदायों को राहत प्रदान करेगी, बल्कि यह जंगली हाथियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। सैटेलाइट कॉलर से मिलने वाली जानकारी भविष्य में मानव और जंगली हाथियों के बीच होने वाले संघर्ष को कम करने की रणनीति बनाने में मददगार साबित होगी।

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