कान्हा में शुरू हुआ हाथियों की शाही खातिरदारी
- सात दिन होगी हाथियों की मालिश और पसंदीदा पकवानों से खुशामदीद
- 5 सितंबर को हाथी रिजुविनेशन कैंप का समापन
- समापन में होगी खेल गतिविधियां और पुरस्कार वितरण
मंडला . कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में प्रतिवर्ष होने वाला हाथी रिजुविनेशन कैंप 31 अगस्त से शुरू हो गया है। इस रिजुवेनेशन कैम्प का उद्घाटन कान्हा टायगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक रवीन्द्र मणि त्रिपाठी, भा.व.से., द्वारा पारंपरिक विधि से हाथियों का सम्मान करते हुये किया गया। सात दिनों तक चलने वाले इस शिविर में पार्क के 17 विभागीय हाथियों में से 15 की शाही देखभाल की जाएगी। यह कैंप हाथियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए 16 साल से आयोजित किया जा रहा है। बताया गया कि साल भर कान्हा के ये हाथी पार्क की सुरक्षा, गश्त और अन्य कामों में व्यस्त रहते हैं। यह कैंप उन्हें आराम देने और उनका स्वास्थ्य सुनिश्चित करने का एक अनूठा तरीका है। इन सात दिनों में हाथियों को भरपूर आराम, पौष्टिक भोजन और चिकित्सीय देखभाल मिलती है, जिससे वे नई ऊर्जा के साथ फिर से अपनी ड्यूटी पर लौट सकें।
जानकारी अनुसार इस वर्ष कैंप में 10 नर और 5 मादा हाथी शामिल हैं। उनकी देखभाल के लिए एक विशेष मेनू और कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस शाही कैम्प में हाथियों के पसंदीदा खाना उन्हें दिया जाएगा। जिसमें मक्का और बाजरे की रोटियां, नारियल, केले, गन्ना, अनानास, आम, पपीता, नाशपाती और मौसमी फल खिलाए जाएंगे। उनके लिए गेहूं का आटा, सोयाबीन का आटा, चना का बेसन, गुड़ और नमक से बने व्यंजन भी परोसे जाएंगे। हाथी रिजुविनेशन कैंप का समापन 5 सितंबर को खेल गतिविधियों और पुरस्कार वितरण के साथ होगा। इसके बाद 6 सितंबर को सभी हाथी अपने-अपने निर्धारित कैंपों में लौट जाएंगे।
स्वास्थ्य का रखा जाएगा ध्यान
कान्हा पार्क के क्षेत्र संचालक ने बताया कि इस कैंप के दौरान हाथियों के रक्त के नमूने जांच के लिए लिए जाएंगे। इसके साथ ही उनके नाखूनों की ट्रिमिंग की जाएगी, पेट के कृमियों को साफ करने के लिए दवा दी जाएगी और जरूरत पडऩे पर उनके दांतों की कटाई भी की जाएगी। इस रिजुविनेशन कैंप के दौरान हाथियों को रोजाना तेल की मालिश दी जाएगी, जिससे उनकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा और वे तरोताजा महसूस करेंगे।
पुराने और नए साथियों का मिलन
बताया गया कि कान्हा में फिलहाल 17 विभागीय हाथी हैं, जिनमें कुछ को दूसरे राज्यों से खरीदा गया है और कुछ कान्हा में ही जन्मे हैं। इन हाथियों में 6 मादा, 10 नर और एक नवजात बच्चा शामिल है। सबसे उम्रदराज मादा हाथी वनदेवी हैं, जिनका जन्म 1941 में हुआ था। वहीं, सबसे नया सदस्य 3 जुलाई 2025 को जन्मा है, जिसकी माँ का नाम निर्मला है। सुरक्षा कारणों से इस नवजात बच्चे और उसकी माँ को इस साल कैंप से दूर रखा गया है, ताकि वे हर्पीस जैसे संक्रामक रोगों से बचे रहें।
अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
इस महत्वपूर्ण आयोजन को सफल बनाने के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को अलग-अलग दिनों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सहायक संचालक, परिक्षेत्र अधिकारी और वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी की टीम इस पूरे कार्यक्रम की निगरानी करेगी। 4 सितंबर को डॉ. आरके चतुर्वेदी महावतों और चाराकटरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी करेंगे।
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