घुघरी में कृषि विस्तार अधिकारी की अनूठी पहल
घुघरी में कृषि विस्तार अधिकारी की अनूठी पहल, खेतों में उतरकर किसानों का बढ़ाया हौसला
- बीज वितरण से आगे बढ़कर श्री विधि से रोपा लगाने में भी दे रहे साथ, किसानों में जगा विश्वास

मंडला . जिले के घुघरी विकासखंड में पदस्थ कृषि विस्तार अधिकारी शैलेन्द्र सैयाम ने किसानों के साथ एक अनोखा और प्रेरणादायक जुड़ाव स्थापित किया है। वे सिर्फ सरकारी योजनाओं की जानकारी देने या बीज वितरण तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वह स्वयं किसानों के साथ खेतों में उतरकर काम कर रहे हैं, जिससे किसानों का विश्वास और उत्साह दोनों बढ़ रहे हैं। बताया गया कि कृषि विस्तार अधिकारी शैलेन्द्र सैयाम ने डोंगरमंडला सेक्टर के ग्राम गजराज में किसान हेमलता धुर्वे के खेत में महिलाओं के साथ मिलकर खार खोदी और धान का रोपा भी लगाया। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं को श्री विधि से रोपा लगाने की तकनीक सिखाई।

कृषि विस्तार अधिकारी शैलेन्द्र ने इस विधि में पौधों के बीच निश्चित दूरी रखने और एक स्थान पर केवल एक ही पौधा लगाने की पद्धति बताई। जिससे धान की पैदावार में वृद्धि होती है। यह पहली बार नहीं है जब कृषि विस्तार अधिकारी ने ऐसी पहल की है, इससे पहले भी वे ग्राम कटंगी और झिगरघटा में भी किसानों के खेतों में धान का परहा रोपा लगा चुके हैं। शैलेन्द्र सैयाम कृषि विभाग की ओर से किसानों को रागी, कोदो, कुटकी और अरहर के बीज मिनीकिट भी वितरित करते हैं। ये वितरण स्थानीय सरपंचों और अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूरी पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ किए जाते हैं, जिससे किसानों में सरकारी योजनाओं के प्रति विश्वास पैदा हो सके। कृषि विस्तार अधिकारी अपने क्षेत्र के गांवों का लगातार दौरा करते हैं और किसानों के साथ सीधा संपर्क बनाए रखते हुए उन्हें खेती से जुड़ी जरूरी सलाह और मार्गदर्शन भी देते है।

शैलेन्द्र सैयाम ने बताया कि यह सब उपसंचालक कृषि अश्वनी झारिया के दिशा-निर्देशों और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी अशोक भलावी के मार्गदर्शन में संभव हो पा रहा है। इस पहल में कृषि विभाग से परशराम झारिया, नवीन झारिया और मेघा झारिया ने भी सहयोग दिया। शैलेन्द्र सैयाम किसानों को कृषि यंत्र खरीदने और राष्ट्रीय पोषण एवं अनाज मिशन योजनाओं में पंजीकरण कराने की सलाह भी दे रहे हैं। इसके साथ ही वे किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिल सके।
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