चूहों एवं कीड़ों का अस्पताल या मरीजों का अस्पताल
चूहों एवं कीड़ों का अस्पताल या मरीजों का अस्पताल
- एनक्यूएएस सर्टिफाइड अस्पताल बना चूहों-कीड़ों का अड्डा:
- मंडला जिला अस्पताल में फैली गंदगी, महिलाओं-बच्चों की जान जोखिम में
मंडला - जिला अस्पताल जो कि 300 बिस्तरों वाला और एनक्यूएएस (नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड) सर्टिफाइड अस्पताल होने का दावा करता है, उसकी हकीकत इन दिनों चूहों और कीड़ों की भरमार ने उजागर कर दी है जहां एक तरफ अस्पताल के नाम पर 'मॉडल हेल्थ केयर' की बात की जाती है वहीं दूसरी ओर अस्पताल के वार्डों में मरीजों की जान चूहों और कीड़ों के भरोसे छोड़ दी गई है, एसएनसीयू वार्ड में कीड़ों की भरमार और महिला मेडिकल वार्ड में चूहों का आतंक इस कदर हावी हो चुका है कि हाल ही में 400 से ज्यादा मरीजों की फाइलों को चूहे कुतर चुके हैं, जिससे न सिर्फ रिकॉर्ड को नुकसान पहुंचा है बल्कि संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है, मार्च 2025 में भी चूहों के आतंक का वीडियो सामने आया था लेकिन उस वक्त सिर्फ दो नर्सिंग स्टाफ को सस्पेंड कर खानापूर्ति की गई और मामला दबा दिया गया, लेकिन अब एक बार फिर वही हालात पैदा हो गए हैं जो यह साबित करते हैं कि जिला अस्पताल का प्रबंधन सिर्फ कागजों में ही 'मानक' पर खरा उतरता है, हकीकत में मरीजों की जान भगवान भरोसे है, महिला वार्ड से लेकर शिशु वार्ड तक फैली यह गंदगी सिर्फ अस्पताल की लापरवाही नहीं बल्कि शासन-प्रशासन की आंखों पर पड़े पर्दे का सबूत है जहां एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है वहीं मंडला जिला अस्पताल में व्यवस्था पूरी तरह सड़ चुकी है, क्या एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन सिर्फ दिखावा है? क्या जिला अस्पताल को सिर्फ नाम के लिए ‘मॉडल अस्पताल’ का दर्जा मिला है? इन सवालों का जवाब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को अब देना होगा क्योंकि यह लापरवाही नहीं बल्कि सीधे-सीधे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है।
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