ये हैं भाई अजब-गजब मंडला यहां सेटिंग से सब मुमकिन है
ये हैं भाई अजब-गजब मंडला यहां सेटिंग से सब मुमकिन है
- छह घंटे में दो आदेश, एक सील एक बहाली: कृषि विभाग की सेटिंगबाजी का भांडाफोड़
मंडला - खेती-किसानी के सीजन में किसानों की मजबूरी और बाजार की मांग का किस तरह नाजायज फायदा उठाया जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण पिंडरई के मेसर्स फौजी कृषि सेवा केंद्र में देखने को मिला, जहां बीज की कालाबाजारी को लेकर जिला प्रशासन के आदेश पर कृषि विभाग नैनपुर की टीम ने दबिश देकर दुकान को सील कर दिया लेकिन हैरानी की बात यह रही कि महज 6 घंटे के भीतर ही विभाग के ही दूसरे बड़े अधिकारी ने उस दुकान को खोलने का आदेश भी दे दिया, यह पूरा मामला न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है बल्कि यह भी उजागर करता है कि कैसे सेटिंगबाजी और अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित बीज की कालाबाजारी को संरक्षण मिल रहा है, कलेक्टर के आदेश पर जब उर्वरक निरीक्षक डी.के. बारस्कर ने मेसर्स फौजी कृषि सेवा केंद्र का निरीक्षण किया तो एडवांटा कंपनी का मका बीज संदिग्ध हालात में पाया गया जिसके न तो बिल उपलब्ध थे और न ही पीसी नंबर जो कि बीज नियंत्रण आदेश 1983 के नियम 17 के उल्लंघन की पुष्टि करता है, लिहाजा नियमानुसार दुकान को सील कर पंचनामा तैयार किया गया जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि विक्रय हेतु प्रतिबंधित बीज दुकान में रखा गया है और उसे बेचने की अनुमति नहीं है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ ही घंटों बाद कृषि विभाग के जिला उप संचालक अश्विनी झारिया ने उस सील दुकान को खोलने का आदेश दे दिया और अपने ही विभाग की कार्रवाई को किनारे कर दिया, उन्होंने संचालक साहिल नेहरा द्वारा प्रस्तुत मौखिक व लिखित कथन और तथाकथित साक्ष्यों के आधार पर यह कहते हुए दुकान खोलने की अनुमति दे दी कि बीज उनके निजी खेत में बोने के लिए लाया गया था जबकि यह बीज दुकान में विक्रय स्थल पर पाया गया और पंचनामा में इसका स्पष्ट उल्लेख भी किया गया, ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि अगर बीज व्यक्तिगत उपयोग के लिए था तो दुकान में क्यों रखा गया, और अगर दुकान में रखा गया तो उसका विक्रय करना क्यों नहीं माना जाए, क्या जिला उप संचालक ने पंचनामा को दरकिनार कर दुकान संचालक को बचाने के लिए यह आदेश जारी किया, क्या विभागीय कार्रवाई को एक मज़ाक बना दिया गया, यह सब कुछ दर्शाता है कि कैसे नियम-कानूनों को ताक पर रखकर चहेते व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है, यह मामला विभाग के भीतर पनप रही गहरी सेटिंगबाजी और मिलीभगत का खुला सबूत है जहां एक तरफ एक अधिकारी नियमानुसार दुकान सील करता है और कुछ घंटों में दूसरा अधिकारी नियमों को कुचलते हुए उसी दुकान को खोलने का आदेश दे देता है, अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन इस दोहरे मापदंड और विभागीय गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले कृत्य पर कोई सख्त कदम उठाएगा या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दबा रह जाएगा।
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