हिरदेनगर में अवैध मुर्रम उत्खनन का तांडव
हिरदेनगर में अवैध मुर्रम उत्खनन का तांडव
हिरदेनगर में अवैध मुर्रम उत्खनन का तांडव, लाखों की सड़क हुई जर्जर
- अस्पताल के पीछे मुर्रम चोरों का अड्डा, प्रशासन मौन
मंडला . जिले के हिरदेनगर क्षेत्र में इन दिनों अवैध उत्खनन और परिवहन का कारोबार युद्ध स्तर पर चल रहा है। हिरदेनगर अस्पताल के पीछे मुर्रम चोरों ने अपना अड्डा बना लिया है, जहां रात भर भारी वाहनों जैसे हाइवा और डंपर से अवैध रूप से मुर्रम का परिवहन किया जा रहा है। सिंगल सड़क पर इन भारी वाहनों की धमाचौकड़ी ने स्थानीय लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। रात भर चलने वाले इस अवैध उत्खनन और भारी वाहनों की आवाजाही पर संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
बताया गया कि अवैध उत्खनन करने वाले खुलेआम अपनी मशीनें लगाकर बेखौफ होकर उत्खनन कर रहे हैं। भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण वहां की लगभग पंद्रह लाख रुपये की लागत से निर्मित ग्रेवल रोड पूरी तरह से खराब हो गई है। स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है कि इन माफियाओं के ऊपर कब कठोर कार्रवाई की जाएगी, जो अपने निजी लाभ के लिए सारी व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये अवैध उत्खननकर्ता शासकीय संपत्ति को अपना मालिकाना हक समझने लगे हैं और इनके खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में दर्जनों भारी वाहन मुर्रम भरकर तेज गति से निकलते हैं, जिससे धूल और शोर के कारण उनका जीना मुश्किल हो गया है। मरीजों और बुजुर्गों को रात भर नींद नहीं आती है। सड़क किनारे रहने वाले लोगों के घरों में धूल की मोटी परत जम जाती है, जिससे उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। कई बार इन भारी वाहनों के कारण छोटे-मोटे हादसे भी हो चुके हैं, जिससे लोगों में डर का माहौल है। बताया गया कि यह सारा अवैध कारोबार स्थानीय अस्पताल के ठीक पीछे चल रहा है, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है या फिर वे जानबूझकर अनजान बने हुए हैं। लोगों का आरोप है कि कहीं न कहीं इन अवैध उत्खननकर्ताओं को कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण उनके हौसले बुलंद हैं और वे बिना किसी डर के खुलेआम इस गोरखधंधे को चला रहे हैं।
प्रभावी कदम उठाने की मांग
स्थानीय लोगों ने कई बार संबंधित अधिकारियों से इस अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। इससे लोगों में निराशा और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही इस अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लगाया गया, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। इस अवैध उत्खनन से सबसे बड़ा नुकसान शासकीय संपत्ति का हो रहा है। लाखों रुपये की लागत से बनी ग्रेवल रोड इन भारी वाहनों की आवाजाही के कारण पूरी तरह से टूट-फूट गई है। अब यह सड़क चलने लायक भी नहीं बची है, जिससे स्थानीय लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों की मांग है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करे और अवैध उत्खनन करने वालों और उनका परिवहन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। उन्होंने मांग की है कि इन माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और उनके द्वारा किए गए नुकसान की वसूली की जाए। इसके साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और क्षेत्र में नियमित रूप से निगरानी करने की मांग की है।
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