15 माह की बाघिन की मौत, लापरवाही के आरोप
- बाघिन को रेस्क्यू करने में दिखाई लापरवाही
- भुआबिछिया बीट के गिट्टी टोला स्थित एक झिरिया मिला था बाघिन का शव
- बाघिन के सभी अंग मिले सुरक्षित, प्रोटोकॉल अनुसार किया शवदाह
नैनपुर. पूर्व सामान्य वन मंडल के बिछिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत भुआ बीट के कक्ष क्रमांक 1532 में शुक्रवार को 15 माह की एक मादा बाघिन मृत अवस्था में मिली है। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना स्थल को सुरक्षित कर लिया। एनटीसीए नई दिल्ली और कार्यालय मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक मप्र भोपाल से जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप डॉग स्क्वाड की सहायता से घटना स्थल और आसपास के क्षेत्र में छानबीन की गई।
जानकारी अनुसार भुआ बिछिया बीट के गिट्टी टोला स्थित एक झिरिया के पास करीब 15 माह की एक मादा बाघिन का शव मिला। जिसकी सूचना वन कर्मियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। डीएफओ ऋषभा सिंह नेताम ने बताया कि शुक्रवार को वन विभाग के अमले ने एक बाघ को देखा था। जिस क्षेत्र में बाघिन दिखाई दी थी, वह रहवासी क्षेत्र के नजदीक था। जिसकी सूचना वन कर्मियों ने दी थी। गांव के नजदीक होने के कारण वन अमले को बाघिन पर नजर रखने के निर्देश दिए थे और वन अमला बाघिन पर नजर बनाए हुए थे। शाम को वन अमले ने एक झिरिया के पास बाघिन के गिरने की सूचना दी। जब वन कर्मियों ने नजदीक जाकर देखा तो बाघिन मृत अवस्था में थी।
बताया गया कि कान्हा के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल और डॉ. दीपाली परते पशु चिकित्सालय बिछिया द्वारा बाघ के शावक का पोस्टमार्टम किया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मृत बाघिन के शरीर के सभी अंग सुरक्षित पाए गए हैं। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बाघिन का शवदाह, भस्मीकरण किया गया। शवदाह के दौरान मुख्य वन संरक्षक कमल अरोरा, वनमण्डल अधिकारी पूर्व सामान्य मंडला सुश्री ऋषिभा सिंह नेताम, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बिछिया सुश्री सोनाली देव, उप वनमण्डल अधिकारी बिछिया जीएस धुर्वे, परिक्षेत्र अधिकारी बिछिया अविनाश जैन, तहसीलदार बिछिया दिनेश बरकडे, एनटीसीए प्रतिनिधि डब्लूडब्लूएफ के कोडीनेटर परसूराम चौहान, मानद वाइल्ड लाईफ वार्डन चन्द्रेश खरे और अन्य स्टाफ मौजूद रहा। इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई है। प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही जारी है।

विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही से बाघिन की मौत
स्थानीय लोगों ने बाघिन की कम उम्र को देखते हुए उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाघिन पिछले दो दिनों से भूखी-प्यासी और बीमार हालत में इलाके में घूम रही थी। उनका कहना है कि यदि वन विभाग चाहता तो उसे रेस्क्यू कर उचित इलाज मुहैया करा सकता था, लेकिन वन विभाग की कथित लापरवाही के कारण कान्हा नेशनल पार्क की इस बाघिन की जान चली गई। स्थानीय लोगों ने वन विभाग के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जहां एक ओर बाघ का शिकार करने पर कठोर दंड का प्रावधान है, वहीं वन विभाग की लापरवाही से बाघ की मौत होने पर संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खबर होने के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने दो दिनों तक बाघिन को रेस्क्यू करने में गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया, जिसके चलते उसकी संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। ग्रामीणों ने घटना स्थल पर मौजूद वन विभाग के अधिकारियों के उदासीन रवैये पर भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में जिम्मेदारों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
इनका कहना है
बाघिन का पीएम किया गया है, वेटनरी चिकित्सकों ने बताया कि बाघिन के शरीर में बाहरी चोट के कोई निशान नहीं मिले है। सेम्पल एकत्र कर जांच के लिए भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बाघिन की मृत्यु का कारण पता चल सकेगा।
ऋषभा सिंह नेताम, डीएफओ, मंडला
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