शिक्षक दिवस पर काली ड्रेस काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने किया यूपीएस का विरोध
शिक्षक दिवस पर काली ड्रेस काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने किया यूपीएस का विरोध
पिछली सरकारों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर समाज में शिक्षकों के सम्मान को किया धूमिल करने का प्रयास-संजीव सोनी
शिक्षक दिवस पर काली ड्रेस, काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने किया यूपीएस का विरोध
सैकड़ों शिक्षकों ने नारेबाजी कर यूपीएस का किया विरोध प्रदर्शन
कुछ वर्षों से शिक्षक दिवस पर शिक्षक कर रहे विरोध प्रदर्शन
नैनपुर - भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन ने शिक्षकों के सम्मान को ध्यान में रखते हुए अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था और तब 5 सितंबर को पूरे देश में उत्साहपूर्वक शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।
कुछ वर्षों से शिक्षक दिवस पर शिक्षकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, इसका विशलेषण करते हुए और समाज में शिक्षकों के घटते सम्मान पर अपने विचार रखते हुए शिक्षक संजीव सोनी ने बताया कि भारतवर्ष में गुरु यानी शिक्षक को ईश्वर से भी बड़ा बताया गया है और सदियों से गुरू को समाज में सम्मान और पूज्यनीय माना गया है, लेकिन शिक्षा का व्यवसायीकरण होने के बाद से धीरे-धीरे समाज में शिक्षकों का सम्मान कम होने लगा। समाज में सम्मानित शिक्षक अब विद्यालय प्रबंधन कमेटी और नेताओं के आगे नतमस्तक होने लगे। इससे अभिभावकों और विद्यार्थियों की नजर प्रबंधन कमेटी के लोग महत्वपूर्ण और शिक्षक की भूमिका नगण्य रह गई। इसके लिए कुछ शिक्षक भी स्वयं जिम्मेदार हैं, जो सम्मान पाने के लिए अपने मूल कर्तव्यों को भूलाकर प्रबंधन कमेटी, नेताओं और अधिकारियों की चापलूसी करना शुरू कर दिए।
बताया गया कि पिछली सरकारों ने बजट में कटौती करने के चक्कर में शिक्षकों की नियमित भर्ती बंद कर गुरुजी, शिक्षाकर्मी, शिक्षामित्र, संविदा शिक्षक, अध्यापक, औपचारिकेतर शिक्षक आदि नामों से मजदूरी से भी कम मानदेय पर कथित शिक्षकों की भर्ती करके समाज में शिक्षकों का बचा खुचा सम्मान भी खत्म कर दिया है। एक ओर समाज में पूर्ण वेतन प्राप्त शिक्षक थे और दूसरी ओर अल्प वेतनभोगी शिक्षक। ऐसे अल्प वेतनभोगी 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर स्वयं को अपमानित महसूस करते थे और उन्होंने समाज में अपनी खोए सम्मान को पाने के लिए एक ओर शिक्षा स्तर पर सुधार का प्रयास किया, दूसरी ओर सरकारों से अपने अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे और प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस पर ऐसे अल्प वेतनभोगी शिक्षक काली पट्टी बांध कर, काली ड्रेस पहनकर स्वयं को पूर्ण शिक्षक बनाने की मांग करते आ रहे थे।
आंदोलन की राह पर चलने मजबूर
आखिरकार 2018 से मप्र सरकार ने इन्हें नया कैडर बनाकर सरकारी शिक्षक मान लिया पर नियमित शिक्षक नहीं बनाया। इससे 1997 से कार्यरत गुरुजी शिक्षाकर्मियों को थोड़ी राहत मिली, पर नई भर्ती वाले युवा शिक्षकों को भविष्य में इसका भरपूर लाभ मिलेगा। पूर्ण वेतन प्राप्त होने के बाद अपने साथी शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने पर 400 से 2000 की पेंशन मिलने पर ये शिक्षक एक बार फिर अपने भविष्य को लेकर चिंतित हुए और पुराने कर्मचारियों एवं विधायक, सांसदों को मिलने वाली पुरानी पेंशन की मांग को लेकर पुन: आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर हैं।
यूनिफाइड पेंशन योजना का विरोध
एनएमओपीएस के जिला प्रभारी अमरसिंह चंदेला ने बताया कि एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु, प्रदेश अध्यक्ष परमानन्द डेहरिया, डीके सिंगौर के आह्वान पर देश के साथ प्रदेश भर में यूपीएस का विरोध किया जा रहा है। नेतृत्व के आह्वान पर 2 सितंबर से 6 सितंबर तक प्रदेश भर के कर्मचारी काली पट्टी बांधकर अपने कार्य स्थलों में कार्य कर रहे हैं। इसी तारतम्य में आज शिक्षक दिवस पर नैनपुर विकासखण्ड में सैकड़ों शिक्षक जनपद स्कूल कैम्पस में एकत्र होकर काली पट्टी बांध कर यूपीएस और एनपीएस के विरोध में नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया।
विरोध प्रदर्शन मे ये रहे शामिल
विरोध प्रदर्शन के दौरान भारत विक्रम, मनीष कटकटवार, तुलसीराम बंदेवार, संदीप प्रजापति, संतोष पुरी गोस्वामी, उज्जवल बढि़ए, दिनेश नगपुरे भूतालाल सैयाम, दशरथ पगाडे, साधना जैन, नीलू गुप्ता, निधि गुप्ता, धन्नो कुंजाम सहित सैकड़ों नवनियुक्त शिक्षक, सहायक शिक्षक इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
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