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श्री कृष्ण का जन्म अधर्म नाश करने के लिए हुआ था "सुकदेव बापू"

डोइफोडिया: ग्राम मातापुर में चल रही श्रीमद् संगीत में भागवत गीता ज्ञान के चौथे दिन परम पूज्य लक्ष्मण चैतन्य बापूजी के कृपा पात्र शिष्य श्री संत सुखदेव चैतन्य बापूजी ने कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया महाराज जी ने सुकदेव बापू जी श्री कृष्ण जन्म पर प्रकाश डालते हुए बताया की जिस समय माता देवकी और वासुदेव जी का विवाह हुआ उस समय कंस ने अपनी बहन देवकी की सदैव रक्षा करने का वचन दिया और जब देवकी और वासुदेस के विवाह के पश्चात कंस स्वयं रथ का सारथी बनकर जाता है परंतु जैसे ही आकाशवाणी होती है और बताया जाता है की देवकी की 8 वी संतान कंस के वध करेगी तभी से अधर्मी अतातही कंस माता देवकी और वसुदेव को बंदी बनाकर कारागार के अंदर बंद कर देता है।और एक के बाद 7 संतानों की हत्या करता चला जाता है।परंतु आठवीं संतान भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लेती है और वासुदेव रात के अधेरे में उसे नंद बाबा और यशोदा जी के वहा पहुंचा देते है।बाल लीलाओं का वर्णन किया, एवं होली की पंचमी होने के कारण पंचमी उत्सव भी मनाया गया कथा में आए सैकड़ो श्रद्धालुओं ने फूल और गुलाल की होली खेली एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली एवं पंचमी की शुभकामनाएं दी, महाराज जी ने कहा कि यह होली का त्यौहार बुराई पर सच्चाई की जीत का त्यौहार है इसलिए सभी ने एक दूसरे से मिलकर ऐसी खुशी रहना चाहिए एवं किसी की निंदा एवं बुराई नहीं करना चाहिए श्री कृष्ण लीला के बाद आरती का आयोजन हुआ आरती के बाद महाप्रसाती वितरण हुई कथा सुनने के लिए समस्त मातापुर ग्राम और आसपास के गांव, नायर, सायर, बलवाड़ा, कारखेडा, लोखण्डियां, राजोरा, खेरखेड़ा,बोद्रली,शिरपुर, नांदुरा खुर्द अन्य गांव से श्रद्धालु शामिल हुए।

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