आजकल के जीवन माता-पिता को प्रणाम करना ही सबसे महत्वपूर्ण संस्कार- प्रशिक्षक बाल संस्कार मंडल ने सीखा दंडवत प्रणाम और श्लोक
बुरहानपुर जिले के प्राचीन स्वामीनारायण मंदिर में घनश्याम बाल संस्कार मंडल की स्थापना हुई डेढ़ महीना हो चुका है प्रत्येक रविवार को लगने वाली बाल संस्कार शाला में संस्कार विद्या विद्यार्थियों की संख्या 20 से बढ़कर कोई 100 प्लस विद्यार्थियों ने बाल संस्कार मंडल की शाला में सीखें भगवान के दर्शन करना नख से लेकर शिखा तक करना, दंडवत प्रणाम करना तिलक करना और अन्य संस्कारों को जीवन में ग्रहण करना ।
बुरहानपुर स्वामीनारायण मंदिर में घनश्याम संस्कार मंडल बालक बालिकाओं ने संस्कार के साथ-साथ जीवन में उठना बैठना भगवान के दर्शन करना माता-पिता को प्रणाम करना और भगवान को दंडवत प्रणाम करना जैसे गुरो को सीखा, वही जब बाल संस्कार मंडल की स्थापना हुई थी उस समय संख्या महज 20 थी अब यह संख्या बढ़कर हंड्रेड प्लस यानी 110 हो गई , इस संबंध में रवि सभा के संस्थापक सदस्य एवं मंदिर ट्रस्ट सोमेश्वर मर्चेंट ने कहा कि जब संस्कार मंडल की स्थापना उस समय बच्चों की संख्या केवल 20 थी और अब बढ़कर 110 हो गए यह एक चमत्कारिक परिणाम सामने आया है इससे माता-पिता भी गलत महसूस कर रहे हैं और अपने बच्चों में कुछ नए संस्कारों को देख रहे हैं जिससे प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं , वही घनश्याम संस्कार मंडल के प्रशिक्षक नटवर भगत का मानना है कि बच्चों में आजकल माता के पिता माता पिता के पैर छूना वर्जित मान लिया वही बच्चों में माता-पिता के पैर छूना और तिलक करना एक महत्वपूर्ण संस्कार जो यहां सिखाया है वही साथी साथ भगवान के सामने दंडवत प्रणाम करना और आपस में मिल जुल कर रहना यही सबसे बड़ा संदेश है जिसका परिणाम है यहां बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वही मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि लगातार इस संस्कार मंडल के विद्यार्थियों को देखकर मदद करने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है आज किसी संस्कारी भक्तों ने विद्यार्थियों को नाश्ते के साथ साथ पेन पेंसिल जैसी महत्वपूर्ण सामग्री भी भेंट की प्रशिक्षण के दौरान सुधीर गुप्ता शैलेश दलाल नितिन शाह बालाजी शाह आदि सहयोगी मौजूद रहे।
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