मां वाघेश्वरी ग्रामोदय मेला-कृषि कार्यशाला का शुभारंभ, किसानों को वैज्ञानिकों ने दिया मार्गदर्शन
बुरहानपुर। बुरहानपुर के ग्राम धामनगांव में 22 मार्च गुड़ीपड़वा से 30 मार्च श्रीराम नवमी 2023 तक आयोजित मां वाघेश्वरी ग्रामोदय मेला अंतर्गत शुक्रवार दोपहर कृषि कार्यषाला का शुभारंभ हुआ। जिसमें केले की खेती पर एवं केले की फसल को कुकम्बर मोजेक वायरस से बचाव विषय पर जैन इरिगेशन जलगांव के डॉ.के. बी. पाटिल किसानों को जानकारी दी। पुनर्योजी खेती विषय पर इन्दौर कृषि महाविघालय के विभागाध्यक्ष पौध संरक्षण डॉ.आर.के.सिंह प्रषिक्षण दिया। कार्यषाला का शुभारंभ पूर्व मंत्री एवं भाजपा प्रदेष प्रवक्ता श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने किया। इस अवसर पर गुलचंद्रसिंह बर्ने, अरूण पाटिल, कृषि समिति अध्यक्ष किशोर पाटिल, जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि प्रदीप पाटिल, राजू पाटिल दापोरा, शांताराम महाजन, विठ्ठल चौधरी, रामदास पाटिल, विठ्ठल गुरूजी, श्रीराम पाटिल, देवानंद पाटिल, देवीदास महाजन बाडू महाजन एवं रूपेष लिहंकर सहित कृषकगण उपस्थित रहे।
केले की फसल में कुकुंबर मोजैक वायरस के प्रकोप के संबंध में कृषि महाविद्यालय इंदौर से पधारे पौध रोग विशेषज्ञ डॉ.आरके सिंह ने बताया कि वायरस को नष्ट नहीं किया जा सकता, केवल उसका प्रबंधन किया जा सकता है। वायरस स्वयं प्रसार नहीं करता उसको प्रसार करने के लिए एक वाहक की आवश्यकता होती है। वायरस पौधे के संपर्क में आने के बाद उसके डीएनए और आरएनए में प्रवेश कर पौधे की गतिविधियों का अधिग्रहण कर पौधे को नियंत्रित कर लेता है और ऐसी स्थिति में वायरस का नियंत्रण असंभव हो जाता है। रस चूसने वाले पौधे वायरस का प्रसार करते है। कीड़े प्राकृतिक रूप से वायरस का प्रसार करने का काम करते हैं खेत में कीड़ों का नियंत्रण करने से वायरस नियंत्रित होता है।
जलगांव से आए केला विशेषज्ञ केबी पाटिल ने कहा कि कुकुंबर मोजैक वायरस के प्रसार के लिए विभिन्न प्रकार के माहू एवं रसचूसक किट सीएमव्ही वायरस को फैलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। श्री पाटिल ने बताया कि हमारे क्षेत्र में जून में मानसून का आगमन होता है और बारिश आते ही कीड़ों का प्रकोप बढ़ता है। रिमझिम बारिश के कारण कीटनाशक का प्रभाव कम हो जाता है। कीड़ो के लिए इस तरह की परिस्थिति अनुकूल होती है। उन्होंने बताया कि माहू एवं रस चूसक कीटों के नियंत्रण करने से सीएमव्ही का नियंत्रण होगा, फसल प्रणाली में परिवर्तन करना होगा। श्री पाटिल ने उपस्थित कृषकों को मक्का कपास के स्थान पर विकल्प के रूप में पपीता तथा प्याज केले के साथ फसल चक्र के रूप में लेने हेतु तथा अगस्त के माह में केले के रोप लगाने के सुझाव दिया।
कार्यषाला को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि नैचर और प्रकृति को समझना हम सबके लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने जिस प्रकार देश में कन्या भू्रण हत्या लेकर जागरूक किया गया उसी प्रकार हमें आने वाले वर्षों में मिट्टी को बचाने हेतु जनजागरूकता करना समय की मांग है। हमें अभी से सचेत होना होगा। श्रीमती चिटनिस ने कार्यशाला में आने वाले कृषि विशेषज्ञयों के बारे में विस्तार से बताया।
*25 मार्च को प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.प्रशांत राजपूत किसानों से करेंगे संवाद*
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने बताया कि 25 मार्च शनिवार को उद्यानिकी फसलों पर कार्यशाला होगी। इसमें आम का सघन बागवानिया विषय पर जलगांव जैन इरिगेशन के वैज्ञानिक अनिल ढाके, अमरूद का सघन बागवानिया विषय पर वैज्ञानिक (सदस्य विज्ञान) चेतन गुउव, पुर्नयोजी खेती विषय पर मुंबई के डॉ.प्रशांत राजपूत अपनी बात रखेंगे। डॉ.प्रषांत राजपूत एक मशहूर नेफ्रोलॉजिस्ट ग्लोबल हॉपिस्टल मुंबई के है। इन्होंने रिजनरेटिव फार्मिंग की संकल्पना पहली बार देश में प्रस्थापित की है। मौसम्बी का व्यवसायिक उत्पादन एवं प्रसंस्करण विषय पर वैज्ञानिक डॉ.डी.जी.पाटिल, पपीता की खेती पर वैज्ञानिक गोविन्द पाटिल अपनी बात रखेंगे। कृषकों से डॉ के. बी. पाटिल, भूपेन्द्र सिंह एवं मनोहरसिंह देवके संवाद करेंगे।
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