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स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल की अग्रणी भूमिका थी: कांग्रेस


 मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी, भोपाल

समाचार


स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल की अग्रणी भूमिका थी: कांग्रेस

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स्वर्गीय सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि 

पर कांग्रेसजनों ने श्रद्धासुमन अर्पित कर किया स्मरण 


भोपाल, 15 दिसम्बर 2022

 देश के प्रथम गृहमंत्री लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के सभाकक्ष में कांग्रेसजनों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उनका पुण्य स्मरण किया तथा उनके जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। इसके पूर्व कांग्रेसजनों ने वल्लभ भवन स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनका स्मरण किया।

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरदार पटेल लोकप्रिय नेता और कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया, वे अधिवक्ता भी रहे। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र के एकीकरण का नेतृत्व किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।

श्री गुप्ता ने कहा कि स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में रहा। गुजरात का खेड़ा खण्ड (डिविजन) उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की, जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और करों में राहत दी गयी, यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।

श्री गुप्ता ने कहा कि बारडोली सत्याग्रह 1928 में गुजरात में हुआ, एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया। प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी, श्री पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार को विवश होकर किसानों की मांगों को मानना पड़ा, इससे खुश होकर महिलाओं ने श्री पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। सरदार पटेल ने कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था, सभी राजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 

श्री गुप्ता ने कहा कि निरन्तर संघर्षपूर्ण जीवन जीने वाले सरदार पटेल को स्वतंत्र रूप से पुस्तक-रचना का अवकाश नहीं मिला, परंतु उनके लिखे पत्रों, टिप्पणियों एवं उनके द्वारा दिये गये व्याख्यानों के रूप में बृहद् साहित्य उपलब्ध है, जिनका संकलन विविध रूपाकारों में प्रकाशित होता रहा है। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण तो सरदार पटेल के वे पत्र हैं जो स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में दस्तावेज का महत्व रखते हैं। 

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर, प्रकाश जैन, महामंत्री राजीव सिंह, मीडिया अध्यक्ष के.के. मिश्रा, श्रीमती आभासिंह, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी, डॉ. महेन्द्र सिंह चौहान, कैलाश मिश्रा, सुश्री संगीता शर्मा, अब्बास हफीज, जितेन्द्र मिश्रा, अभिनव बरोलिया, अवनीश बुंदेला, आनंद जाट, विक्की खोंगल, कुंदन पंजाबी, विक्रम चौहान, शहरयार खान, मुनव्वर कौसर, राहुल राठौर, प्रकाश ठाकुर, चंद्रा सर्वटे, प्रकाश ठाकुर, शीतल मालवीय, मिर्जा नूर बेग, मुईनउद्दीन सिद्धीकी, राजलक्ष्मी नायक, तला देवरे, महक राणा, बैशाली डुमने, रामस्वरूप यादव, कुतुबुद्दीन शेख, सीताराम ठाकुर, देवकरण मीना सहित अन्य कांग्रेसजन उपस्थित थे।   

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एवं कार्यक्रम समन्वयक आनंद तारण ने कार्यक्रम का संचालन किया। 


श्रीमान संपादक महोदय मीडिया विभाग

ससम्मान प्रकाशनार्थ मप्र कांग्रेस कमेटी

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