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गुर्जर समाज ने मनाई वल्लभ भाई पटेल की जयंती उनके बलिदान और आदर्शों को याद किया....

 


राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में बनाई रेवा गुर्जर मंगल कार्यालय संजय नगर बुरहानपुर में ...

जिला बुरहानपुर ऐतिहासिक नगरी एवं पर्यटन नगरी में

रेवा गुर्जर समाज मंडल अध्यक्ष विनायक पाटिल उपाध्यक्ष संजय महाजन ,निलेश प्रभाकर चौधरी और सभी मंडल पदाधिकारियों की उपस्थिति में बनाई जयंती


अखण्ड भारत का सपना :सरदार वल्लभ भाई


संपूर्ण भारत के लिए अदम्य शक्ति और फौलादी संकल्प के महानायक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल आधुनिक भारत निर्माण के मुख्य शिल्पकार हैं। उन्होंने 562 देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण कर राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की। इनके अतुल्य योगदान के बिना भारतीय मानचित्र का भव्य स्वरूप आज जैसा है वैसा दिखाई नहीं देता। उनके समग्र अवदान को कृतज्ञ राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में नमन कर रहा है। वल्लभ भाई का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था।


किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे.. 


देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार वल्लभ भाई पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री बने।


562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना सरदार की महानतम देन थी।


हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी । वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा । हैदराबाद में काफी मात्रा में हथियारों के आयात से सरदार पटेल चिंतित हो गए । अतः 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना हैदराबाद में प्रवेश कर गई । तीन दिन बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया ।


उड़ीसा से 23, नागपुर से 38, काठियावाड़ से 250 तथा मुंबई, पंजाब जैसे 562 रियासतों को भारत में मिलाया ।


भारत के इस महान सपूत के लिए लौह पुरुष की संज्ञा विश्लेषण की हर कसौटी खरी उतरती है। जिसमें अपने संकल्पों के प्रति मर मिटने का जज्बा हो ,जिसके व्यक्तित्व का एक-एक अणु लोहे के कण कण से बना हो,जो चुनौतियों के हिमालय को विंध्याचल की तरह नतमस्तक करना जानता हो, जो घोर तमस में भी अपने संघर्ष के दीप को निर्वापित न होने दे, जिसके फौलादी इरादों को किसी मौसम में बदलने की ताकत न हो, जो अपने मूल्यों से समझौता न करता हो,जो एक बार ठान ले तो उसे पूर्ण करके ही दम लेता हो, जिसका पराक्रम अपराजेय, आस्था अडिग, संकल्प अटल हो वही व्यक्ति लोह पुरुष हो सकता है। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण की जिसमें पराकाष्ठा हो, जो किसी मुकदमे में पैरवी के दौरान अपनी पत्नी की मृत्यु का समाचार पाकर भी कर्तव्य पथ से विचलित न हो, जो जेल में रहते हुए अपनी पूज्य मां और बड़े भाई के निधन पर उनके अंतिम संस्कार के लिए फिरंगियों की शर्तों पर पैरोल पर रिहा होने से इनकार कर सकता हो वही व्यक्ति लोहपुरुष हो सकता हो।निसंदेह सरदार पटेल इसके हकदार हैं ।


अतः उनके विराट व्यक्तित्व को शब्दों की सीमा में बांधना संभव नहीं है। उनके व्यक्तित्व में शिवाजी की दूरदर्शिता, कौटिल्य जैसी नीति कुशलता, बिस्मार्क जैसी संगठन क्षमता और राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी। एक और महत्वपूर्ण कार्य कर सरदार पटेल ने आजाद भारत में प्रशासनिक सेवाओं को स्टील फ्रेम की संज्ञा देते हुए अखिल भारतीय प्रशासनिक, पुलिस और केंद्रीय सेवाओं का भारतीयकरण किया व भारतीय सेनाओं के पुनर्गठन में अपूर्व कौशल का परिचय दिया। आजादी के अमृत काल में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना सरदार पटेल के अखंड भारत के स्वप्न का ही विस्तार है। गुजरात में निर्मित (182 मीटर) विश्व की सबसे ऊंची भारत रत्न सरदार पटेल की प्रतिमा उनकी अजेय इच्छाशक्ति की ही अर्चना है। उनका कृतित्व राष्ट्र की अनमोल धरोहर हैंजो चिर अनुकरणीय और प्रासंगिक है।


जिला बुरहानपुर प्रीतम महाजन ....✍🏼

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