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जिला मुख्यालय के स्टेडियम ग्राउंड में जनजाति विकास मंच द्वारा डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया गया। रैली में जनजाति समाज के प्रबुद्धजन माताएं बहने पुरूष अपनी परंपरागत वेशभूषा, वाद्य यंत्र, शस्त्र के साथ शामिल हुए।


बुरहानपुर/जनजाति विकास मंच द्वारा डीलिस्टिंग महारैली संपन्न  रविवार को जिला मुख्यालय के स्टेडियम ग्राउंड में जनजाति विकास मंच द्वारा डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया गया। रैली में जनजाति समाज के प्रबुद्धजन माताएं बहने पुरूष अपनी परंपरागत वेशभूषा, वाद्य यंत्र, शस्त्र के साथ शामिल हुए। कार्यक्रम परम पूज्य संत श्री दादू जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ जिसमे मुख्य वक्ता चंद्रसिंह वास्केल, कार्यक्रम के संयोजक रतिलाल चिलात्रे, राधे सुभाष चौहान, मनोहर बाबा, राजेश महाराज, सिताई बाई, छन्नू जी आदि अतिथि मंचासीन थे। 

सभी मंचासीन अतिथियों ने सरकार से आह्वान करते हुए कहा जो जनजाति समाजजन अपने रीति-रिवाज, परंपराएं, संस्कृति छोड़कर ईसाई अथवा मुसलमान बन गए हैं ऐसे सभी व्यक्तियों को जनजाति सूची से बाहर किया जाए व डीलिस्ट किया जाए।

स्वतंत्रता में जनजाति समाज की अहम भूमिका रही है, जनजाति समाज आदिकाल से सनातन धर्म संस्कृति का पालन करता है किंतु प्रलोभन व लालच देकर उनका धर्मांतरण किया जा रहा है। अंग्रेजों के शासनकाल में ईसाई मिशनरियों द्वारा जनजाति क्षेत्र में धर्मांतरण प्रारंभ किया जो आज तक चल रहा है। तीन प्रतिशत लोग देश की सुविधाओं का अस्सी प्रतिशत लाभ उठा रहें हैं वह लाभ संविधान में जनजाति समाज को अपनी संस्कृति परंपरा रीति रिवाज का संरक्षण करने के लिए मिला हुआ था।

जनजाति समाज के लिए जो आरक्षण प्राप्त था उसका ईसाई मिशनरियों द्वारा दुरुपयोग किया गया और दोहरा लाभ लिया जा रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए समाज ने डीलिस्टिंग की मांग की है। समाज देख रहा है कि 75 वर्षों के स्वतंत्रता के बाद भी 10% धर्मांतरित लोग 80% आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं, जो वास्तविकता में जनजाति समाज को मिलना चाहिए था। यह बात डॉ कार्तिक उरांव को आज से 50 वर्ष पहले ही ध्यान में आ गई थी इसलिए इस पूरे आंदोलन को 1960 के दशक मे देशभर के 348 सांसदों के हस्ताक्षर करके संसद में प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन उस समय की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया जिसका दुष्परिणाम अभी भी जनजाति समाज भुगत रहा है।

जनजाति सुरक्षा मंच ने देशभर का अध्ययन करने के बाद जनजाति डीलिस्टिंग अभियान को वर्ष 2006 में पुनः प्रारंभ किया और अभी देशभर में डीलिस्टिंग निमित्त रैलियां हो रही है। गांव गांव से डीलिस्टिंग की मांग के ग्राम प्रस्ताव पारित होकर पंचायत से संसद तक इस अभियान को तेज गति से प्रारंभ किया जा रहा है। 
शहर के समस्त मुख्य मार्गो से होते हुए रैली का समापन पुनः स्टेडियम ग्राउंड में हुआ। मंच का संचालन गोपाल मुजाल्दा ने किया। महारैली मे जिले के समस्त विकास खंडों, ग्रामों से बड़ी संख्या में जनजाति समाज बंधु समिल्लित हुए।

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