गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161 वी जयंती पर भाऊ फाउंडेशन ने दी श्रद्धांजलि
बुरहानपुर/शनवारा स्थित गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा पर भाऊ फाउंडेशन सदस्यो द्वारा उपस्थित होकर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बालाजी उत्सव समिती अध्यक्ष आशिष भगत एवं पेंशनर्स जिला एसोशिएशन अध्यक्ष अताउल्ला खान उपस्थित थे। मौके पर संजय चौधरी, अजय राठौर, धर्मेन्द्र सोनी, और साथी उपस्थित थे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी सदस्यो ने विश्व कवि के पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया। संस्था जिलाध्यक्ष राजेश भगत ने अपने वक्तव्य मे कहा कि टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी दो कृतियां, दो देशों की राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता’ और बांग्लादेश का “आमार सोनार बांग्ला’। विजय राठौर ने कहा रवींद्रनाथ टैगोर ने साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला, रंगमंच और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया। जय कुमार गंगराडे ने जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया गुरुदेव अपने मानवतावादी दृष्टिकोण के कारण वह सही मायनों में विश्वकवि थे। वे ‘गुरुदेव’ के नाम से लोकप्रिय हुए। गुरुदेव के काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई। दुनिया की तमाम भाषाओं में आज भी टैगोर की रचनाओं को पसंद किया जाता है। वे चाहते थे कि विद्यार्थियों को प्रकृति के सानिध्य में अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए शांति निकेतन की स्थापना की। मौके पर प्रकाश नाईक ने बताया कि रविंद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान की रचना की है। उन्हें गीतांजली पुस्तक के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है।
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