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मुह बोले भाई द्वारा नाबालिक बालिका से किया दुष्कर्म....


मुह बोले भाई द्वारा नाबालिक बालिका से किया दुष्कर्म....
आरोपी को न्यायालय ने दिया  मृत्युपर्यन्त कारावास एवं 12 हजार रू. के अर्थदंड... 

अति. जिला अभियोजन अधिकारी/ विशेष लोक अभियोजक श्री रामलाल रन्धा‍वे द्वारा अभियोजित प्रकरण में मा. विशेष सत्र न्यायालय श्री के. एस. बारिया विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012) बुरहानपुर द्वारा आरोपी सचीन पिता बलंवत, आयु 30 वर्ष, निवासी बुरहानपुर को 
 मृत्युपर्यन्त कारावास से दंडित किया गया।  

प्रकरण की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुये जिला अति.अभियोजन अधिकारी/ विशेष लोक अभियोजक श्री रामलाल रन्धावे द्वारा बताया कि घटना दिनांक 28-09-2018 को पिडिता अपने मुह बोले भाई एवं भाभी के साथ अपने गाव से गणपती देखने बुरहानपुर आई थी पिडिता अपने मुह भोले भाई व भाभी के साथ उनके घर पर ही रह रही थी पिडिता रात को सोई हुई थी भाई व भाभी भी सोये हुये थे तो रात करीबन 02 -03 बजे के लगभग आरोपी सचिन जहा पिडिता सोई हुई थी वहा आया ओर पिडिता का मुह दबा दिया पिडिता की नींद खुली तो संचिन ने बोला की अगर तु चिल्लाई तो में तेरे को मार डालुगा और पिडिता को माचिस की तिली के चटके पिडिता के बाय हाथ पर लगाया तथा मारने की धमकी देकर पिडिता के साथ आरोपी सचिन ने दुष्कर्म किया तथा थोडी देर बाद फिर पिडिता के साथ गलत काम किया पिडिता आरोपी सचिन से काफि डर गई थी आरोपी सचिन ने इसके पहले भी बरीबन 7-8 दिन पूर्व में भी पिडिता के साथ घर में गलत काम किया था। विवेचना पश्चारत पुलिस विवेचक ने आरोपी के विरूद्ध 323, 506  376 (2)(एम)(एन) भा.द.वि., एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत चालान मा. न्यायालय मे पेश किया।
अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी श्री रामलाल रन्धानवे ने अपनी बहस में अपराध की गंभीरता पर मा. न्यायायल का ध्यान आकर्षित करते हुये बताया की  बलात्संग का अपराध न केवल इस अपराध से पिडित स्त्री  के शरीर के प्रति है बल्कि यह तो संपूर्ण समाज के प्रति अपराध है यह स्त्री की मानसीकता को ही नष्ट कर देता है, और उसे एक भावनात्मक संकट में ढकेल देता है बलात्संग एक सर्वाधिक घृणित अपराध है, जिस पर माननीय विशेष न्या‍याधीश द्वारा भी निर्णय में टिप्पणी करते हुये कहा की उक्त अपराध न केवल आधारभूत मानव केवल घृणित अपराध है और यह पिडित स्त्री के सर्वाधिक इच्छित व प्रिय मुलभूत अधिकारी को अति लंबित करने वाला अपराध है जबकी इस घटना में आरोपी अभियोक्‍त्री का मुह बोला भाई था और वह शादीशुदा होकर उसकी पत्नि होते हुये भी उसने नाबालिक अभियोक्त्री के साथ बलात्कार किया आरोपित अपराध समाज की माननीय प्रतिष्ठा के प्रति अनादर है अत: ऐसी स्थिति में आरोपी को कठोर दंड दिया जाना चाहिए।

प्रकरण में सफलतापूर्वक पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी/ विशेष लोक अभियोजक श्री रामलाल रन्धावे द्वारा की गई। मा. न्यायालय ने वी.सी. के माध्य म से अंतिम तर्क सुने गये एवं निर्णय वी.सी. के माध्यम से मा. न्यायालय द्वारा धारा लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012) की धारा 42 के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए एवं उक्त दोनो अपराध एक ही  घटना क्रम के तारतम्य में  कारित किये जाने एवं एक ही अपराध के स्वरूप के होने से आरोपी को लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 धारा 5 एल/, 6 के लघुत्तर अपराध में पृथक से दंडित किया जाना न्यायोचित एवं आवश्यक नही है, बल्कि धारा 376 (2)(एफ)(एम)(एन) भा.द.वि. के गुरूत्तर अपराध के लिये मृत्युपर्यन्त कारावास से और 10000 रू. के अर्थदंड तथा भा.द.वि. की धारा 323 के आरोप हेतु एक वर्ष के कठोर कारावास और 1000 रू. के अर्थदंड से एवं से दंडित किया, और अर्थदंड मे से 10000/- रुपये प्रतिकर के रुप मे पिड़िता को दिलाए जाने का आदेश दिया।

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