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निगमायुक्त ने वाल्मीकि संगठन के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिये कार्यालय बुलाया, फिर बात करने से मुखरे, कहा यह धारा 144 का उल्लंघन। कर्मियो को पुलिस कार्यवाई की दी धमकी। अध्यक्ष


बुरहानपुर (राजूसिंह राठौड 9424525101) वाल्मीकि संगठन के पदाधिकारी मंगलवार को नगर पालिक निगम आयुक्त भगवानदास भुमरकर को अपनी विभिन्न लंबित मांगों का ज्ञापन देने एवं उनके बुलावे पर निगम कार्यालय पहुंचे। लेकिन निगम आयुक्त ने उनसे ज्ञापन लेने और चर्चा करने से साफ इंकार कर दिया जिसके बाद सफाई कर्मचारी एक घंटा उनके कक्ष के बाहर 



बैठकर उनका इंतजार करते रहे। संगठन अध्यक्ष उमेश जंगाले बताया की निगमायुक्त ने हमारे प्रतिनिधिमंडल को बिते शनिवार को स्वयं कहा था कि आप सभी लोग मंगलवार को निगम कार्यालय आए तो हम मालिकाना हक सहित विभिन्न मांगों को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। लेकिन कर्मचारियों के निगम कार्यालय पहुंचते ही आयुक्त ने उनका वहा आना अवैधानिक बताया जबकी आयुक्त ने ही प्रतिनिधि मंडल के लोगो को निगम कार्यालय बुलाया था। कर्मचारियों से चर्चा करने के बाजाय कर्मियो को कोरोना के नियमो का हवाला देते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने और धारा 144 का उल्लंघन करने पर पुलिस कार्रवाई की धमकी देकर षड्यंत्र पूर्वक तरीके से फसाने का प्रयास किया। जिससे कर्मचारी खामोश बैठ जाये। 






उमेश ने कहा कि आयुक्त ने हमारी प्रमुख मांग मालिकाना हक को पूरा करने का कहा है। लेकिन 170 हितग्राहीयो मे से केवल 60 लोग जो वर्तमान में निगम कार्यालय में स्थाई रूप से सफाई का कार्य कर रहे हैं उन्हें ही मालिकाना हक देने को कहा और बचे 110 पेंशनधारी रिटायर्ड कर्मियों को शासन का हवाला देते हुए उन्हे मना कर दिया। जबकि शासन के आदेश में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि  रिटायर्ड कर्मियों को मालिकाना हक नहीं दिया जाए। उन्होने कहा की निगम कार्यालय में कई नियम विरुद्ध कार हो रहे है और जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है। जेसे ठेकेदार द्वारा सफाई कर्मचारियों को उनके खातों में वेतन देने के बजाय उन्हें कलेक्टर द्वारा निर्धारित राशि नहीं देते हुए कम वेतन दिया जा रहा हैं, जबकि उन्हें कलेक्टर रेट के हिसाब से वेतन दिया जाना चाहिए। किसी को 4 हजार तो किसी को 5000 हजार का कम वेतन दे रहे है। जबकी ठेकेदार और निगम के अनुबंध मे कर्मियो को उनके बैंक खातो मे वेतन भुगतान करने के नियम है। इससे कर्मियो का खुलेआम शोषण किया जा रहा है। जंगाले ने कहा की निगम आयुक्त ने सांठगांठ कर अशिक्षित अनुभवीहिन लोगों को सेक्टर अधिकारी, झोनल अधिकारी बना दिया है जबकि उनके पास शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, डिग्री, या कोई ट्रेनिंग लेटर नही है तो फिर इनकी नियुक्ति किस आधार पर की गई। उन्हें वेतन भी पद अनुसार दिया जा रहा है जिससे निगम के कोष को नुकसान हो रहा है। इन लोगो पर कोई नियम लागू नही हो रहा और हमे बेवजह नियमो मे उलझाया जा रहा है। हमारी जायज मांगों के लिए हम आखरी दम तक डटकर लड़ेंगे ऐसी किसी भी धमकी से नही डरेंगे। और जल्द ही उग्र आन्दोलन कर कोर्ट की शरण भी लेंगे। यदि 4 दिन मे मांगों का निराकरण नहीं होता है तो वाल्मीकि संगठन के पदाधिकारी निगम आयुक्त का तबादला करने की कलेक्टर एवं मुख्यमंत्री और नगरी प्रशासन मंत्री से मांग करेंगा। जंगाले ने कहा की आयुक्त ने मामला बिगड़ते देख कर्मियों को आज फिर आश्वासन दिया है कि जल्द ही उनकी मांगों को पुरा किया जाएगा!

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