गणतंत्र दिवस पर आओ करे प्रतिज्ञा हम सब इस पावन गणतन्त्र दिवस पर,
26 जनवरी हमारे देश के लिए बहुत खास दिन है। गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ था। 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत एक गणतंत्र देश बन गया था। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि सभी जाति एवं वर्ग के लोग इसको एक साथ मिलकर मनाते हैं। आप सभी को पता होगा कि रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब क्या होता है। अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार देश में लोगों के ऊपर होता है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के करके ही भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया है। उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है उसका ही नतीजा है कि आज हम अपने देश भारत में आराम से रह रहें है।
भारत देश के कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताओं में इन महान नेताओं का नाम आता है। जैसे महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री इन स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे भारत देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान भी न्यौछावर कर दी थी। और उनके इन महान कामों के लिए ही आज भी उनका नाम भारत देश के इतिहास में लिखा है। न ही सिर्फ लिखा ब्लकि आज भी देश का बच्चा बच्चा उनको याद करता है और उनके तरह बनना चाहता है। लगातार कई वर्षों तक इन महान लोगों ने ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को उनकी गुलामी से आज़ाद कराया। भारत वासी उनके इस बलिदान को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। उन्ही के कारण आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले रहे हैं।
हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि, ” हमने एक ही संविधान और संघ में हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को पाया है। जो देश में रह रहे सभी पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमें दोबारा एक साथ मिलकर अपने देश से इन बुराइयों को बाहर निकाल फेंकना है जैसे कि स्वतंत्रता सेनानी नेताओं ने अंग्रेजों को हमारे देश से निकाल दिया था। हमें अपने भारत देश को एक सफल, विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा। हमें अपने भारत देश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, आदि जैसे चीजों को अच्छी तरह समझना होगा और इनका हल निकालना होगा।
आओ करे प्रतिज्ञा हम सब इस पावन गणतन्त्र दिवस पर,
हम सब बापू के आदर्शों को अपनायेगे नया समाज बनायेंगे,
भारत माँ के वीर सपूतों के बलिदानों को हम व्यर्थ न जानें देंगे,
जाति ,धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर नया समाज बनायेंगे.
हमारी सरकारें तो अपना काम कर रही है, परन्तु देशवासी होने के नाते हमारे भी कुछ फर्ज है जो हर देशवासी को निभाने चाहिए। आज हमारा देश नफरत की आग में झुलस रहा है, लोग अपनी ही Properties को जला रहे है, क्यों, किसलिए? यह properties हमारी अपनी है और इसकी भरपाई हमें ही करनी होगी, माना कुछ बाहरी ताकतें हमारे देश के अमन चैन, भाईचारा और विकास से ईष्र्या करते है जो सदियों से होता आया है, सरहदों की रक्षा तो हमारे जवान भली भांति कर रहे है, मगर हमें अपने देश के अंदर की रक्षा करनी होगी, और हर नफरत का अंत प्यार से ही होता। हमने सरकार के सभी फसलों को चुपचाप अपना समर्थन देकर अपने भाईचारे का परिचय दिया है, तो अब यह नफरत क्यों?
आओ हम सब मिलकर यह प्रण लें कि हम अपने परिवार को यानी अपने देश को बिखरने नहीं देंगे,
*हिंदू मुस्लिम, सिख इसाई*
*आपस में सब भाई भाई*
हमारा यह संगठन बनाने के कुछ उद्देश्य है, इस साल में हम अपनी बहनो के साथ जो भटके हुये युवा है Rape जैसी शर्मनाक घटनाओं को अंजाम दे रहे है, इसलिए उन्हें रोकने के लिये,
*हम अपनी बहनो को आत्म रक्षा की training free of cost देंगे, और लड़कों को No profit, No loss, basis पर training देंगे*
*Private Schools में शिक्षा बेहतरीन मिलती है, मगर वहां हर बच्चा शिक्षा नहीं ले पा रहा है, इसलिए हमने Primary level पर Digital Schools open करने का निश्चय किया है, जहां हर गरीब और अमीर को शिक्षा मिलेगी, क्योंकि बच्चे का दिमाग बिल्कुल पानी की तरह निर्मल होता है, हम जो इन्हें सिखायेंगे वही इस उम्र में इनके दिमाग में अंकित होगा सारी उम्र के लिये, तो क्यों न हम हम आने वाली नस्लों के लिये, यह शुरूआत तो कर दें। बाकी हमारी टीम भ्रष्टाचार से लडती रहेगी, हर जिला लेवल पर हम एक Helpline Number जारी करेंगे, जिस पर लोगों की शिकायतें सुनकर उनका निवारण किया जायेगा। इस साल के हमारे ये उद्देश्य है, अगले साल के हम बाकी उद्देश्यों की शुरूआत करेंगे।
बचपन का वो भी एक दौर था
गणतंत्र में भी खुशी का शोर था।
ना जाने क्यू में इतना बड़ा हो गया
इंसानियत में मजहबी बैर हो गया।।
ये नफरत बुरी है ना पालो इसे
दिलों में नफरत है निकालो इसे
ना तेरा, ना मेरा, ना इसका, ना उसका
ये सब का वतन है बचालो इसे।।
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना,
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना,
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना,
खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना,
हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे भाईयों संभाल के….||
*जय हिंद, जय भारत*
*राष्ट्रीय मुख्य सचिव*
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