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बुरहानपुर 11 दिन में 7 करोड़ के बिलों को निकाला जाना संदेहास्पद,





बुरहानपुर (राजूसिंघ राठौड)कमिश्नर भगवानदास को मिला स्टे, 

11 दिन में 7 करोड़ के बिलों को निकाला जाना संदेहास्पद,

बुरहानपुर  प्रदेश भर में हो रहे ट्रांसफर के इस दौर में  निगमायुक्त भगवानदास घूमर कर जी का ट्रांसफर होने के बाद यहां राजनीतिक रसूख के चलते तत्कालीन कमिश्नर सुरेश रेवाल को एक बार फिर से बुरहानपुर भेज दिया गया। यह कार्य इतनी तेजी से किया गया कि लोग समझ भी नहीं सके, निगमायुक्त भगवान दास जी के हुए स्थानांतरण से वे खुद अचंभित है कि हाल ही में वे बुरहानपुर नगर निगम का दायित्व संभाले थे कि उनका स्थानांतरण हो गया। जिसे लेकर वह कोर्ट की शरण में जा पहुंचे जहां उन्हें स्टे मिल गया, लेकिन भगवान दास जीके ट्रांसफर होने तथा स्थानांतरण को लेकर कोर्ट से स्टे लेने  के बीच बुरहानपुर कमिश्नर के पद पर दोबारा आए सुरेश रेवाल जी ने बहुत ही कम समय में करीब 7 करोड रुपए के बिल पास कर दिए , जिस पर सवालिया निशान उठाया जा रहा। क्योकि यहां स्थानांतरण के पश्चात  पूर्व कमिश्नर  और वर्तमान  दोनों के हस्ताक्षर जो बैंक को दिए जाते हैं वह भी नहीं हो सके और आनन-फानन में विभिन्न कार्यों के बिलो की राशि को निकाला जाने लगा  जो संदेह के घेरे में आ रहा है । 

इसे लेकर स्टे लेकर आए कमिश्नर भगवानदास भूमरकर भी अफसोस जताते हुए कहा कि बिना औपचारिकता पूर्ण किए इस तरह बिलों का निकाला जाना समझ से परे है । संभवत निकाले गए बिलों को लेकर मामले को वरिष्ठ अधिकारियों तक अवगत भी वे कराएंगे,ऐसा इनका कहना है। क्योंकि राशि बहुत ज्यादा है जिसे बहुत ही अल्प समय में बिना किसी औपचारिकता के निकाल दी, अब देखना यह होगा कि निकाली गई राशि को लेकर वरिष्ठ अधिकारी क्या कुछ कदम उठाते हैं।

8 अगस्त को पदभार संभाला सुरेश रेवाल ने और 21 अगस्त तक निगम में कॉमिस्नर रहे ।उसके बाद भगवानदास भूमरकर पुनः कोर्ट से sty लेकर निगम में वापस लौटे। 

8 अगस्त से 21 अगस्त के बीच 15 अगस्त और दो रविवार का अवकाश भी रहा अर्थात रेवाल 14 दिन मेसे केवल 11 दिन ड्यूटी किया और 7 करोड़ का बिल निकाला ।उनकी इस कार्यप्रणाली से संदेह उठ रहा।

 8 अगस्त से 21 अगस्त तक सुरेश रेवाल निगम में रहे इसी दौरान इन बिलों को पास किया गया।जिस पर सामाजिक कार्यकर्ता आनंद dixit भी सवाल उठा रहे।और इस कार्य की शिकायत वे वरिष्ठ अधिकारी से करेंगे इसकी जांच की मांग भी कर रहे।

भगवानदास भूमरकर 


आनंद दीक्षित सामाजिक कार्यकर्ता

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