मृत्यु के बाद क्या होता हैं ?
मृत्यु किस प्रकार होती हैं ?

पुराणों का मत हैं की मृत्यु से कुछ समय पूर्व मनुष्य को बड़ी बेचैनी, पीड़ा और छटपटाहट होती हैं , क्योकि सब नंसो में से प्राण खीचकर एक जगह एकत्रित होते है,लेकिन पुराने अभ्यास के कारण वह फिर उन नसों मे वापस जाता है,जिससे एक प्रकार का आघात लगता हैं | मरने से पूर्व प्राणी कष्ट पता हैं फिर चाहे जुबान से उसे प्रकट कर सके या न कर सके, लेकिन जब प्राण निकलने का समय पास आ जाता है तो एक प्रकार की मूर्च्छा आ जाती हैं | जब आत्मा शरीर छोड़ती हैं तब शरीर को बहुत पीड़ा होती है इतनी पीड़ा होती की मनो 1000 बिच्छुओं के डंक के एक साथ प्रहार किया हो ? बूढ़े व्यक्ति की अपेक्षा जवान व्यक्ति को ज्यादा पीड़ा होता हैं क्योकि उनका शरीर जल्दी प्राण नहीं छोड़ता हैं |
जब मनुष्य मरने को होता हैं, तो उसकी समस्त बाहर की शक्तियां एकत्रित होकर अंतर्मुखी हो जाती हैं और फिर शरीर से बाहर निकल जाती है , जीव का बैंगनी रंग की छाया लिए शरीर से बाहर निकलत है |
जब मनुष्य मरने को होता हैं, तो उसकी समस्त बाहर की शक्तियां एकत्रित होकर अंतर्मुखी हो जाती हैं और फिर शरीर से बाहर निकल जाती है , जीव का बैंगनी रंग की छाया लिए शरीर से बाहर निकलत है |
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