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तालाब पुनरोद्धार के दौरान मिले अवशेषों से प्रतीत हुआ प्राचीन यमुना नदी का घाट          



                                                                                 .                              प्रयागराज-: के यमुनापार क्षेत्र के जसरा ब्लाक के एतिहासिक गांव चिल्ला गौहानी मे जन सहयोग और लोक भागीदारी से प्राचीन तालाब का पुनरोद्धार (खुदाई) मे मिले रहे अवशेषों से प्रतीत हो रहा है कि शायद यह स्थान प्राचीन यमुना नदी का घाट था ,वर्तमान ताल प्राचीन यमुना नदी की धारा का कुन्ड है

तालब की खुदाई के दौरान तालाब मे 40फिट लम्बी 



शिलाओं की सीढियां मिली साथ ही साथ ताम्बे के तीन जर्जर घडे और कुछ आधुनिक समय के सिक्के भी मिले जिसको चिल्ला गौहानी जन संसद समिति ने गाव की धरोहर के रूप मे संग्रहित वा सुरक्षित करने व अभी तक के कार्यों की समीक्षा के लिए 20जनवरी को एक सामूहिक बैठक करने का निर्यण लिया गया है जिसमें

अभी तक के कार्यों की प्रगति के बारे मे समीक्षा की जाएगी साथ ही साथ,आगे की रणनीति भी बनाई जाएगी।




 ग्रामीणों का कहना है कि यह यमुना नदी का पुराना पाटा है, जिसका यह घाट है।  जिसमें अभी कुछ दषक पहले भी 4 माह तक पूरा इलाका जलमग्न रहता था। अब नालों की वजह से यहां पानी रूकता नही है। तालाब की जरूरत आज हमारी सबसे बडी जरूरत है। इसी लिए हम सब अपनी जन संसद बनाकर अपने पानी का प्रबन्धन तथा संरक्षण हेतु पहल किए हैं। अब यमुना नदी के पुराने घाट का अवशेेष मिलने से हम सभी ग्रामवासी लोग और उत्साहित हैं जिसके तहत अब 20 जनवरी को पुनः बैठक कर अभी तक की खुदाई की समीक्षा तथा आगे की योजना पर विचार होगा।

अभी तक जन सहयोग से इस प्राचीन तालाब के 20 ×30मीटर के भू भाग में 5 फिट गहरी खुदाई उपरान्त निकलने वाली मिट्टी को बन्धे बन्धे पर डालने का कार्य हो रहा है। वही घाट नुमा सीढियां मिलने पर उत्साहित ग्रामीणों ने उसे सावधानी पूर्वक सफाई का कार्य भी किया जा रहा है । जिसमे अभी तक चार सीढियां खुदाई से खुल गई हैं। वहीं घाट के किनारे ही खुदाई में तीन जर्जर , गले हुए हालत में ताम्बे के घडे मिले। जिसे इस निष्कर्ष पर पहुचा गया कि यहां पेयजल के लिए कालांन्तर में लोग नियमित आते थे। यह मीठे व शुद्ध पेयजल का स्त्रोत रहा है। 

 वहीं खुदाई के दौरान 1 पांच पैसा 1968, 1 पच्चीस पैसा 1952 व एक बीच में छिद्र और गोल रिंग प्रकार का जो लगता है कि काल की मुद्रा रही होगी। यह सभी वस्तुएं ग्राम के सामूहिक कोष में सुरक्षित की गई है। इन पैसों के मिलने से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि उक्त स्थल जहां पेयजल का केन्द्र था वहीं पूजा स्थल भी था और लोग प्रचलित काल की मुद्रा भी चढाते रहे हैं। 

अब आगे की रणनीति और अभी तक के कार्य की समीक्षा हेतु पुनः चिल्ला गौहानी जन संसद की बैठक 20 जनवरी को अपराहन 12 बजे तालाब के नजदीक स्थित सघन सहकारी समिति के प्रांगण में आहूत की गई है। 

 सामाजिक कार्यकर्ता डा0 समाज शेखर के मागदर्शन में प्रयागराज के कुम्भ के स्वागत के साथ 13 जनवरी 2019 से शुरू हुए इस तालाब पुनरोद्धार कार्य का संयोजन ग्राम के प्रबुद्ध नागरिक श्यामाकान्त मिश्र, मथुरा प्रसाद पाण्डेय, मुकेष मिश्र, बबलू सिंह, शैलेन्द्र मिश्र, प्रवीणसिह,भूखन सिह ,पप्पूपरिहार,नीलमणिसिह,पंकज यादव,गोपाल कृष्णमिश्र,संजय मिश्र बहादुर मिश्र उमेश मिश्र मनोजमिश्र शशिकान्त मिश्र ,कौशलेन्द्रप्रसाद मिश्र,बुद्ध नारायण मिश्र,ईश्वरी प्रसाद मिश्र ,वकील सिह ,श्याम सिह,नन्हू हरिजन ,रामचन्द्रहरिजन,जोखई हरिजन,उदयवीर सिह,मानसिह,जगन्नाथसिहयादव बब्बू हरिजन, तुल्सीयादव,पंकज यादव,रामभवन यादव ,कमलेश यादव,गुलाब यादव,बनवारी हरिजन, सुरेश सिह यादव ,ऋतेश यादव प्रधानपति,आदि के साथ ग्राम के हर खासो आम का सहयोग और भागीदारी हो रही है। 

सामाजिक कार्यकर्ता डा0 समाज शेखर ने कहा है कि यह घ यमुना जी की प्राचीन घारा से जुडा है। कालान्तर में जब गंगा जी भरद्धाज आश्रम से बहती थी तब यमुना जी की मूल धारा यहां से बहती थी। यहां के आल्हा उदल के किले तथा पीछे के अन्य ग्रामों तथा उसकी प्राचीनता से इस घाट का अटूट सम्बन्ध है। गांव के ही प्रतिष्ठित इतिहासकार मथुरा प्रसाद पाण्डेय जी के अनुसार कभी जब जल मार्ग मुख्य था तब आल्हा उदल , राजा बुन्देला, छत्रसाल आदि के काल में यह सुरक्षित व समृद्ध स्थल था।         

रिपोर्टर अभिषेक   प्रयागराज

राष्ट्रीय न्यूज़

चीफ इन एडीटर

राजू राठौड

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