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प्राचार्य को हटाने भाजपा नगर मंत्री का जोर, छात्राओं को उकसा कर माँगा जा रहा समर्थन

 


प्राचार्य को हटाने भाजपा नगर मंत्री का जोर, छात्राओं को उकसा कर माँगा जा रहा समर्थन 


नैनपुर - नैनपुर शासकीय स्नातक महाविद्द्यालय कॉलेज में नया विवाद सामने आया है।   जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी नैनपुर के नगर मंत्री  अजय नवेरिया एवं जनभागीदारी समिति अध्यक्ष दामोदर झारिया ने छात्राओं को भी इस आंदोलन में शामिल होने के लिए उकसाया और उनसे साथ देने की गुहार लगाई। छात्राओं को राजनीतिक संघर्ष में घसीटने के इस प्रयास की आलोचना शुरू हो गई है। गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि शिक्षा संस्थानों को राजनीति से दूर रहना चाहिए और छात्राओं को राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करना अनुचित है।  इस घटनाक्रम ने कॉलेज परिसर में तनाव का माहौल बना दिया है और छात्र-छात्राओं के बीच भी मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। महाविद्यालय में राजनीति का खेल क्लास रूम तक पहुंच गया हैं जहाँ छात्रों को इकट्ठा कर  साथ देने की गुहार लगाईं जा रही हैं | शासकीय स्नातक महाविद्यालय में हाल ही में प्राचार्य को हटाये जाने का खेल शुरू हो गया हैं इस खेल में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद ने प्राचार्य से सरकारी फंड से सांस्कृतिक आयोजन गरबा नृत्य कराने के लिये दबाव बनाया था जहाँ प्राचार्य ने स्पष्ट मना कर दिया था कि शासकीय आदेश नहीं हैं इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी नैनपुर के नगर मंत्री अजय नवेरिया एवं जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष दामोदर झारिया के द्वारा एबीवीपी कार्यकर्तायों के साथ जबरन छात्रों को उकसा रहें हैं कि  एबीवीपी के कार्यकर्तायों के साथ रहो और सहयोग करो अब सवाल यह पैदा होता हैं कि शिक्षा के केंद्र में सत्ताधारी दल के नेताओ का प्रवेश करना और शिक्षा के केंद्र में राजीनीति करना क्या सही हैं, नैनपुर महाविद्यालय में भाजपाइयो की राजनीति का खेल जारी हैं जबकि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार हैं क्या सरकार बेहतर शिक्षा देने के लिये सक्षम नहीं हैं, ज़ब सत्ता पक्ष के लोग ही ये बता रहें हैं कि अच्छी शिक्षा चाहिए तो आवाज उठाओ जिससे यह मत स्पष्ट होता हैं कि मध्यप्रदेश की मोहन सरकार बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने में असक्षम हैं | गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन ने इस पुरे मामले को सज्ञान लेते हुये आरोप लगाया हैं कि भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शिक्षा संस्थान को राजनीतिक गतिविधियों का अड्डा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कॉलेज जैसी संस्थाओं का उद्देश्य शिक्षा, शोध और व्यक्तित्व निर्माण होना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक दल का प्रभाव बढ़ाना उनका महाविद्यालयों में इस तरह की गतिविधियाँ न केवल शैक्षणिक माहौल को प्रभावित करती हैं, बल्कि छात्रों के भविष्य को भी राजनीति की खींचतान में उलझा सकती हैं। इस मुद्दे को लेकर छात्र-छात्राओं के बीच भी चर्चा तेज है। कई छात्रों ने कहा कि वे कॉलेज में केवल पढ़ाई के लिए आते हैं और किसी भी पार्टी की राजनीति से दूर रहना चाहते हैं।

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