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गोंडवाना की धरती में गोंडी भाषा मानकीकरण, शब्दकोश और मान्यता के लिए सांस्कृतिक संगम

 


गोंडवाना की धरती  में गोंडी भाषा मानकीकरण, शब्दकोश और मान्यता के लिए सांस्कृतिक संगम 


  • छ राज्यों से आएंगे गोंडी भाषा विद्वान, गढ़ा मंडला बनेगा गवाह


 मंडला-  गोंडवाना की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरती गढ़ा मंडला में दिनांक 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक को दाई नरमादा की गोद में बना आदिवासी भवन सगम घाट  में राष्ट्रीय स्तर पर गोंडी भाषा के मानकीकरण हेतु पांच दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन की मेजबानी राष्ट्रीय गोंडी भाषा अखिल गोंडवाना महासभा एवं  मानकीकरण, मान्यता-समन्वय दल के द्वारा की जा रही है। यह वर्कशॉप में देश के छ राज्यों—महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से गोंडी भाषा के विद्वान शामिल हो रहे हैं। उनका उद्देश्य गोंडी भाषा के संरक्षण, संवर्धन और मानकीकरण की दिशा में ठोस पहल करना है। विद्वानों का मानना है कि भाषा के लिए एक मानक स्वरूप तय होना न केवल शिक्षा और साहित्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह समाज की एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती देगा। “यह वर्कशॉप गोंडी भाषा को एक साझा पहचान देने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे आने वाली पीढ़ियों को अपनी मातृभाषा को सीखने और आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।” अखिल गोंडवाना महासभा ने कहा , “गोंडी भाषा हमारी आत्मा है। इसका मानकीकरण हमें पूरे गोंडवाना क्षेत्र को एक सूत्र में बांधने का अवसर देगा, यह आयोजन केवल भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक धरोहर से गहरे जुड़ाव का प्रतीक है।” गढ़ा मंडला की यह ऐतिहासिक भूमि अब उस क्षण की साक्षी बनेगी जब गोंडी भाषा और संस्कृति के मानकीकरण की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाया जाएगा। समाज के लोगों में इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। आयोजन का उद्देश्य गोंडी भाषा के लिए एक मानक स्वरूप तय करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक इसे शिक्षा, साहित्य और समाज के माध्यम से संरक्षित व संवर्धित किया जा सके।

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