नए पुल के नीचे मलबे का ढेर, मानसून से पहले सफाई की मांग
नए पुल के नीचे मलबे का ढेर, मानसून से पहले सफाई की मांग
- नुकीले पत्थर बन रहे खतरा, ठेकेदारों की लापरवाही से नदियों में रुकावट
- नदियों में टापू, मछुआरें हो रहे चोटिल
- प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल

नैनपुर. विगत कुछ वर्षों से नैनपुर की थांवर और चकोर नदियों पर बन रहे रेलवे और सड़क पुलों के निर्माण में गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। पुलों के पिलरों की खुदाई से निकलने वाला मलबा और नुकीले पत्थर ठेकेदारों द्वारा नदी के बीचों-बीच ही छोड़ दिए जा रहे हैं, जिसके कारण नदियों में अस्थायी टापू बन गए हैं। इसके अलावा, निर्माण सामग्री ले जाने के लिए बनाए गए रास्ते भी ठेकेदार बाढ़ आने से पहले नहीं हटा रहे हैं, जिससे नदियों का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि पिलर के गड्ढे करते समय निकलने वाले नुकीलेदार पत्थर भी नदी के बीच में ही जमा हो रहे हैं। ये पत्थर मूक पशुओं और मछुआरों के लिए खतरा बन रहे हैं, जिससे उनके पैरों में घाव होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस गंभीर समस्या पर न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है, न ही कोई जनप्रतिनिधि और न ही संबंधित ठेकेदार। पुलों का निर्माण पूरा होने के बाद वे केवल उद्घाटन कर चलते बन रहे हैं, और नदी में जमा मलबे की सुध कोई नहीं ले रहा है।


स्थानीय निवासियों की मांग है कि निर्माण के दौरान जो भी मलबा और खुदाई सामग्री निकली है, उसे या तो नदी से बाहर निकाला जाए या फिर दोनों किनारों पर घाट निर्माण या पिचिंग में उसका उपयोग किया जाए। इससे न केवल मिट्टी का कटाव रुकेगा, बल्कि लोगों को नदी में आने-जाने में भी आसानी होगी। वार्ड नंबर 6 और 15 में रेलवे ब्रिज और बायपास ब्रिज के निर्माण के दौरान भी चकोर नदी को लगभग पाट दिया गया है और थांवर नदी का भी यही हाल है।

बारिश के मौसम में यह जमा मिट्टी और गिट्टी नगर पालिका द्वारा बनाए गए स्टाप डैम में फंस सकती है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। बड़े-बड़े पत्थर नदी के तल में ही पड़े रहेंगे, जिससे भविष्य में जल निकासी में बड़ी समस्या आ सकती है। शासन-प्रशासन से आग्रह है कि बरसात शुरू होने से पहले संबंधित ठेकेदारों से बात करके इस मलबे को नदी से हटवाया जाए, जिससे आने वाले समय में किसी भी प्रकार की जनहानि या पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।
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