परंपरा को चुनौती, समाज को दिशा
परंपरा को चुनौती, समाज को दिशा
87 वर्षीय श्री झनक लाल हरदहा ने रचा इतिहास – मृत्यु भोज न करने का लिया ऐतिहासिक निर्णय
मंडला बम्हनी बंजर - जब समाज वर्षों से चली आ रही परंपराओं में जकड़ा हो, तब कोई एक साहसी व्यक्ति ही बदलाव की चिंगारी जला सकता है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक और अनुकरणीय कदम उठाया है बम्हनी बंजर निवासी 87 वर्षीय श्री झनक लाल हरदहा ने, जिन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र स्वर्गीय मनमोहन हरदहा के निधन के पश्चात मृत्यु भोज की रूढ़िवादी परंपरा को न मानने का साहसिक और क्रांतिकारी निर्णय लिया।
स्व. मनमोहन हरदहा का आकस्मिक निधन 12 मई 2025 को मुंबई में हुआ था। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 13 मई को सर्री घाट पर विधिपूर्वक किया गया। इस दुखद घड़ी में भी श्री झनक लाल हरदहा ने समाज के सामने एक नई सोच प्रस्तुत की – उन्होंने मृत्यु भोज जैसे दिखावटी, आर्थिक और मानसिक रूप से बोझिल आयोजन को न करने का संकल्प लिया।
नई दिशा, नया दृष्टिकोण
दशगात्र के अवसर पर उन्होंने परिवार और कुटुंबजनों के साथ मिलकर एक शांत, आध्यात्मिक और अर्थपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, जिसमें सामूहिक पूजन और मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गईं। यह आयोजन दिखावे से रहित, पूर्ण श्रद्धा और धार्मिक विधियों के साथ सम्पन्न हुआ।
संदेश जो दिलों को छू गया
वास्तविक श्रद्धांजलि भोज नहीं, सेवा, प्रार्थना और सदाचार है, हरदहा का यह कथन अब समाज में एक नई सोच का प्रतीक बन चुका है।
सामाजिक नेतृत्व की भूमिका
झनक लाल हरदहा, हरदहा समाज जिला महासभा मंडला के अध्यक्ष कृष्णकुमार हरदहा के पिताश्री हैं। उनके इस निर्णय को समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों से सराहना मिली है। यह कदम अब एक सामाजिक आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है – एक ऐसी शुरुआत, जो अनगिनत परिवारों को मानसिक और आर्थिक शोषण से मुक्ति दिला सकती है।
हरदहा समाज जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार हरदहा ने कहा
"पिताजी का यह निर्णय समाज में चेतना और परिवर्तन की मिसाल बनेगा। यह केवल परंपरा तोड़ना नहीं, नई सोच को अपनाना है।"
हरदहा समाज के संरक्षक गोपाल हरदहा ने कहा
"यह निर्णय हमारे समाज में जागरूकता और सादगी के नए अध्याय की शुरुआत है। झनक लाल जी ने जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेगा।"
हरदहा समाज के संरक्षक गणेश हरदहा ने कहा
"यह कदम समाज को बोझिल परंपराओं से मुक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत है।"
*वार्ड क्रमांक 04 पार्षद एवं समाजसेवी श्री जगदीश हरदहा ने कहा:*
"झनक लाल जी का निर्णय हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धांजलि कर्म और सेवा से दी जाती है, न कि दिखावे से।"
*समाजसेवी श्रीमती शारदा राजाराम हरदहा ने कहा:*
"यह पहल विशेष रूप से महिलाओं और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए प्रेरणा है, जो अक्सर ऐसे आयोजनों में मानसिक और आर्थिक रूप से पीड़ित होते हैं।"
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