A description of my image rashtriya news कान्हा नेशनल पार्क में दो माह में हुई 94 आग की घटनाएं, - Rashtriya News Khabre Desh Prdesh Ki

Header Ads

कान्हा नेशनल पार्क में दो माह में हुई 94 आग की घटनाएं,

 


कान्हा नेशनल पार्क में दो माह में हुई 94 आग की घटनाएं, 316.43 हेक्टेयर वन क्षेत्र जले 

  • तैनात कर्मचारियों की मदद से समय पर पाया गया काबू

मंडला . प्रतिवर्ष गर्मी के सीजन में जंगल का सबसे बड़ा नुकसान आग के कारण होता है। इस आगजनी के कारण जंगल में रहने वाले जीव, जंतु, पशु पक्षी को नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही जंगल की जमीन भी इस आगजनी से प्रभावित होती है। जंगल में लगे छोटे-छोटे पौधे भी नष्ट हो जाते हैं। जिससे कि हमारा जंगल असंतुलित होता है। मई माह का प्रथम पखवाड़ा समाप्त हो गया है और तापमान 40 डिग्री के आसपास चल रहा है। आगामी दिनों में तापमान में और बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। बताया गया कि लगातार बढ़ रहे पारे और गर्मी के चलते जहां गांव, कस्बों और शहरों में आग लगने की घटनाएं होती है, वहीं जंगलों में भी आग का खतरा बना रहता है। विश्व विख्यात कान्हा नेशनल पार्क में भी आगजनी की घटनाओं से बचाव के खास इंतजाम किए जाते है, जिससे जंगल में आग से बचाव किया जा सके। जिसके लिए पार्क प्रबंधन समेत सैकड़ों कर्मचारी तैनात हैं, जो जंगल को दिन-रात आग से बचाते है।

जानकारी अनुसार 940 वर्ग किलोमीटर में फैले कान्हा नेशनल पार्क में आग न लगे इसके लिए फायर कैंप व सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जाती है। वहीं दूसरे तरफ रेंज अफसर, बीट गार्ड और मैदानी अमलीा हमेशा तैनात रहता है। जंगल के चप्पे-चप्पे पर कर्मचारियों की पैनी नजर होती है, वही प्रबंधन के आला अफसर भी हमेशा चौकन्ने रहते है। जिसके कारण अब तक कान्हा नेशनल पार्क में आगजनी की कोई बड़ी घटना अब तक सामने नहीं आई है। कान्हा में आगजनी की जो घटनाएं हुई है, वह बड़ी घटना नहीं है। 15 फरवरी से 7 मई तक कान्हा के 94 क्षेत्रों में आगजनी की घटना हुई, जिसमें 316.43 हेक्टेयर वन क्षेत्र जला है। वैसे तो कान्हा नेशनल पार्क के कोर एरिया में आम नागरिकों का प्रवेश नहीं होता है, जिससे कृत्रिम आग का खतरा कम होता है लेकिन जंगल मे बांस के पेड़ों की अधिकता होने से प्राकृतिक आग का खतरा हमेशा बना रहता है। इस खतरे से निपटने प्रबंधन हमेशा मुस्तैद रहता है।

कोर जोन में 25 आगजनी की घटना में 113 हेक्टेयर वनक्षेत्र प्रभावित 

जानकारी अनुसार 15 फरवरी से 7 मई तक कान्हा नेशनल पार्क में कुल 94 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें कोर और बफर जोन मिलाकर कुल 316.43 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया। यह आग की घटनाएं वन्यजीवों और पार्क की पारिस्थितिकी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। कोर जोन में घटित हुई आगजनी की घटना में इस वर्ष कान्हा रेंज में आग लगने की कोई घटना नहीं हुई है। किसली रेंज में 4 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें लगभग 11 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया। मुक्की रेंज में 4 घटना में 39.61 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। सुपखार रेंज में 12 आग की घटना में 45.50 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया। बघट रेंज में 4 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें 12 हेक्टेयर वन क्षेत्र का नुकसान हुआ है। सरही रेंज में 3 घटना में 5 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। फेन रेंज में आग लगने की कोई घटना दर्ज नहीं की गई है। कोर जोन में कुल 25 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें 113 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया।

बफर जोन में 69 घटना में 203.32 हेक्टेयर को नुकसान 

बताया गया कि बफर जोन के अंतर्गत आने वाले विभिन्न रेंज में आग लगने की घटनाएं हुई है। जिससे कुछ क्षेत्र प्रभावित हुए है। जिसमें खटिया रेंज में 8 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे 28 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। खापा रेंज में 9 घटना में 34 हेक्टेयर वन क्षेत्र, समनापुर रेंज में 5 घटना में 18 हेक्टेयर वन क्षेत्र, गढ़ी रेंज में सबसे अधिक 36 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे 99.82 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। बफर जोन में यह रेंज आग से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। मोतीनाला रेंज में 2 आग की घटनाओं में 3.50 हेक्टेयर वन क्षेत्र का नुकसान हुआ है। सिझोरा रेंज में 9 आग की घटनाओं में 20 हेक्टेयर वन क्षेत्र जला है। बफर जोन में कुल 69 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें 203.32 हेक्टेयर वन क्षेत्र का नुकसान हुआ है।

पार्क कें पास उपलब्ध है अग्नि नियंत्रण और संसाधन 

कान्हा पार्क प्रबंधन आग पर नियंत्रण पाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हमेशा सर्तक रहते हुए पार्क क्षेत्र में पैनी नजर बनाए रखता है। पार्क प्रबंधन इस घटना से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है। बताया गया कि पार्क प्रबंधन के पास 530 अग्रि योद्धा है, जिसमें कोर जोन में 361, बफर जोन में 169 अग्नि योद्धा आग बुझाने के कार्यों में संलग्न हैं। इसके साथ ही कोर जोन में 31 और बफर जोन में 12 ब्रशवुड कटर उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग झाडिय़ों और सूखी पत्तियों को हटाने में किया जाता है, जो आग फैलने का कारण बन सकती हैं। ऐसे 43 ब्रशवुड कटर पार्क में कार्यरत हैं। पार्क प्रबंधन ने बताया कि आग को फैलने से रोकने के लिए हवा के ब्लोअर का उपयोग किया जाता है। कोर जोन में 41 और बफर जोन में 8 ब्लोअर उपलब्ध हैं। इसके साथ ही आग की घटनाओं की निगरानी और शुरुआती पहचान के लिए फायर वॉच टॉवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोर जोन में 31 और बफर जोन में 27 फायर वॉच टॉवर स्थापित हैं। जिसकी मदद से आगजनी की घटनाओं पर नजर बनी रहती है। इसके साथ ही पार्क में वायरलेस स्टेशन भी स्थापित है, जो संचार को सुचारू बनाए रखने में वायरलेस स्टेशनों का उपयोग किया जाता है। पार्क में फिक्स 46 और 180 वायरलेस सेट उपलब्ध हैं।

अग्रि रेखा की हो चुकी सफाई

बताया गया कि फायर सीजन के लिए कार्य योजना बनाने के बाद विगत दो माह पहले ही वन मार्ग व वनक्षेत्र से लगे मुख्य मार्गो के दोनों तरफ तीन-तीन मीटर अग्रि रेखा की सफाई की जा चुकी है। जिससे आग लगने की स्थिति में आग एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुंच पाती है। जिससे जंगल में आग फैलने से बचाव होता है। इस तपती गर्मी में मार्ग किनारे गिरे पत्तों को भी एकत्र कर नष्ट किया जा रहा है। जिससे जंगल में आग का खतरा ना बने। जंगल में आगजनी से निपटने के लिए कान्हा, किसली और सरही में करीब 118 अग्रि शामक दल बनाए गए है, जो जंगल की निगरानी कर रहे है।

कान्हा के बफर जोन में अग्रि दुर्घटनाएं

नोट- वर्ष 2025 में बफर जोन में 07 मई तक हुई अग्रि दुर्घटनाएं और उसका रकवा।



कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.