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27 को होगा उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा का सामूहिक आयोजन

 







27 को होगा उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा का सामूहिक आयोजन


  • व्यास नारायण मंदिर से प्रारंभ होगी परिक्रमा

  • ग्राम घाघा में प्रथम दिन होगा रात्रि विश्राम एवं भजन संध्या

मण्डला। पतित पावनी अणत नारिणी माँ नर्मदा जिस स्थान पर उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है, उस क्षेत्र को उत्तरवाहिनी क्षेत्र कहते हैं।स्कंध पुराण, मतस्य पुराण, वायु पुराण, प‌द्मपुराण और भृगु संहिता में वर्णित रेवाखड के श्लोक में वर्णन आता है कि मार्कण्डेय मुनि जी ने युधिष्ठिर सहित पाण्डवों और कुछ देवताओं को उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित हुई नर्मदा जी के स्थानों का महत्व कहा है। चैत्र मास में, उत्तरवाहिनी माँ नर्मदा परिक्रमा करने से सम्पूर्ण परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।



     पुराणों में वर्णित है जहाँ नर्मदा उत्तरवाहिनी, गंगा पश्चिमवाहिनी और सरस्वती पूर्व वाहिनी होती है, तो वह क्षेत्र धर्मपारायण होता है।जिस स्थान पर माँ रेवा उत्तर वाहिनी प्रवाहित हुई हो और भगवान विष्णु उत्तराभिमुख हो। वहाँ स्नान करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।




  •       यही कारण है कि चैत्र माह में माँ नर्मदा की उत्तरवाहिनी परिक्रमा की जाती है हमारे नगर को भी माँ नर्मदा का विशेष आर्शीवाद प्राप्त है  कि माँ नर्मदा महाराजपुर संगम से घाघी घाट तक उत्तरवाहिनी प्रवाहित हैं। इनकी परिक्रमा करने के लिये किले घाट स्थित व्यास नारायण मंदिर में संकल्प पूजा के बाद तट परिवर्तन कर परिक्रमावासी महाराजपुर संगम आते हैं और यहां से मंग्लेश्वर मंदिर होते हुये कारीकोन के रास्ते मानादेई, सुरंगदेवरी, सिलपुरा होते हुये घाघी घाट पहुंचते हैं जहां से तट परिवर्तन कर बबैहा और फिर ग्वारी, फूलसागर, आमाटोला, तिंदनी, कटरा होते हुये नगर में प्रवेश करते हैं और व्यास नारायण मंदिर में जल चढ़ाकर अपनी परिक्रमा पूर्ण करते हैं।




      इस सामूहिक नर्मदा परिक्रमा में चूंकि नर्मदा भक्तों की संख्या ज्यादा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है लिहाजा सुरक्षा की दृष्टिकोण से युवा नर्मदा भक्त व्यास नारायण मंदिर में संकल्प पूजा के बाद झूलापुल होते हुये रामबाग, सकवाह के माध्यम से पुरवा पुल से महाराजपुर संगम पहुंचेंगे जहां पर सभी परिक्रमावासियों के लिये बालभोग की व्यवस्था की गई है बालभोग के उपरांत सभी परिक्रमावासी एक साथ मंगलेश्वर मंदिर वाले मार्ग से होते हुये कारीकोन तिराहा पहुंचेंगे और फिर इसी मार्ग से मानादेई, सुरंगदेवरी होते हुये परिक्रमा सिलपुरा स्थित कोठी घाट आश्रम पहुंचेगी जहां पर दोपहर के भोजन की व्यवस्थ की गई है। भोजन के बाद यहां से परिक्रमा घाघा ग्राम तक जायेगी जहां पर कि रात्रि विश्राम होगा शाम को संध्या वंदन के बाद नर्मदा आरती की जायेगी और फिर रात्रि का भोजन होगा और भोजन उपरांत पुन: संगीत संध्या का आयोजन किया जायेगा। परिक्रमा में शामिल कुछ लोग शाम को ही तट परिवर्तन कर ग्वारी पहुंच जायेंगे और ये भक्तगण ग्वारी में ही माँ नर्मदा की संध्या आरती का आयोजन करेंगे और फिर दूसरे दिन 28 मार्च को यह परिक्रमा यात्रा फूलसागर, तिंदनी होते हुये मण्डला नगर में प्रवेश करेगी और फिर व्यास नारायण मंदिर पहुंचकर परिक्रमा संपन्न होगी।

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