प्रमुख सचिव राजस्व एवं आयुक्त भू अभिलेख ग्वालियर के नाम जिला पटवारी संघ ने सौंपा ज्ञापन
प्रमुख सचिव राजस्व एवं आयुक्त भू अभिलेख ग्वालियर के नाम जिला पटवारी संघ ने सौंपा ज्ञापन
मण्डला। मप्र पटवारी संघ जिला ईकाई मंडला के द्वारा प्रमुख सचिव राजस्व मप्र शासन भोपाल एवं आयुक्त भू अभिलेख ग्वालियर मप्र के नाम मंडला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है। जिला पटवारी संघ के अध्यक्ष गीतेन्द्र गीतू बैरागी ने बताया कि वर्तमान समय प्रदेश के पटवारियों को लगातार विभिन्न अभियानों तथा अन्य योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री सम्मान निधी, मुख्यमंत्री सम्मान निधि योजना, ई-केवाईसी तथा फार्मर रजिस्ट्री जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के पटवारी अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित होकर आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित हो रहे है। मांग है कि पहले पटवारी को अवकाश के दिनों में आपातकालीन सेवा हेतु बुलाया जाता था। परंतु पिछले कुछ वर्षों से अवकाश के दिनों में सामान्य कार्यों के लिए भी पटवारी को लगाया जाता है तथा प्रताडि़त भी किया जाता है। जो बंद किया जाए अन्यथा पुलिस विभाग के समान 24 घंटे ड्यूटी पर होने के कारण कारण पटवारियों का वेतन 13 महीनें का प्रदान किया जाए। प्रदेश के कपितय जिलों में सार्थक एप्प एवं ई डायरी अटेंडेस को लेकर पटवारियों को प्रताडि़त किया जा रहा है। जबकि पटवारियों को उचित संसाधन व मोबाइल उपलब्ध नहीं कराए गए है। लगभग 6 वर्ष पूर्व जो निम्न स्तर की कीमतों के उपलब्ध भी कराएं गये थे। वो भी बेकार होकर उपयोग हीन हो चुके है। इसी प्रकार पटवारियों का कार्य क्षेत्र बेहद दुर्गम पहाडी तथा दूरस्थ क्षेत्रों में रहता है, जहाँ नेटवर्क उपलब्ध नहीं रहता है। जिससे उक्त एप्पस के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवान अप्रासंगिक एवं अव्यवहारिक हे। इस हेतु अनिवार्यता समाप्त की जावें। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सम्मान निधि योजना में पैसा उच्च स्तर से सीधे किसान के खाते में आता है। पटवारी का कार्य केवल कृषक का रजिस्ट्रेशन करना हैं परंतु पैसा ना आने पर अनावश्यक रूप से सीएम हेल्पलाइन होती है। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सम्मान निधि योजना में सीएम हेल्पलाइन 181 शिकायत से अलग की जाए। जिस प्रकार लाडली लक्ष्मी योजना को सीएम हेल्पलाइन 181 से पृथक रखा गया हैं। प्रदेश में स्वामित्व योजना का कार्य पटवारी द्वारा किया गया है परतु आज दिनांक तक कई जिलो की तहसीलों में पटवारी को स्वामित्व योजना का पैसा प्रदान नहीं किया गया जिसे तत्काल भुगतान कराया जाए। इसी प्रकार स्वामित्व योजना को लेकर मंदसौर जिले में पटवारियों को निलंबित एवं प्रताडि़त किया जा रहा हैं। पटवारियों के खिलाफ उक्त समस्त कार्यावाही वापस ली जाए। इसी प्रकार मजले टोले के नक्शे का नवीन कार्य पटवारियों से बिना प्रशिक्षण एवं संसाधन तथा बिना मानदेय से करवाया जा रहा हैं। जो अनुचित एवं न्याय संगत नहीं हैं। प्रोटेक्शन एक्ट: प्रदेश का पटवारी राजस्व न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत राजस्व न्यायालय के अधीन कार्य करता है। जिसमें उसके विभाग को उसके कार्यों को विभागीय जांच का अधिकार होता है। विभागीय जांच पश्चात ही दोषी पाए जाने पर ही विभागीय रिपोर्ट के आधार पर दोषी माना जाएं, किन्तु पुलिस द्वारा बिना किसी विभागीय जांच के आधार पर उसे सीधे दोषी मानकर उसके विरूद्ध एफ आई आर दर्ज कर दोषी बनाया जाता हैं। जो पूर्ण रूप से अनुचित व अवैधानिक हैं। इसलिए नायब तहसीलदार, तहसीलदार की भांति पटवारियों को भी प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में शामिल किया जाये। फार्मर आईडी का ऐप अत्यंत की निम्न स्तर का हैं जो अधिकतम समय ठीक तरह से कार्य नहीं करता है। जिस कारण पटवारी का अर्थात शासन का समय अनावश्यक बेकार होता हैं. इसलिए एप में सुधार कराया जाए। गिरदावरी का कार्य पिछले वर्ष सर्वेयर द्वारा कराया गया था, जिनका भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया है। भुगतान हेतु सर्वेयर पटवारी पर दबाव बनाते हैं। अत: फसल सर्वे का भुगतान सर्वेयर को तत्काल किया जाए। एग्री स्टेक व अन्य भत्ते का भुगतान नहीं होना वर्तमान समय में प्रवेश का पटवारी शासन की विभिन्न योजनाओं एवं लगातार राजस्व महाभियान में काम कर रहा है। जिसमें कई माह से अपने एग्री स्टेक, स्टेशनरी तथा फिक्स टीए जैसे भत्तों के भुगतान की मूलभूत सुविधाएं से वंचित होकर लगातार आर्थिक शोषण का शिकार हो रहा हैं। जिससे सिर्फ प्रदेश पटवारी ही नहीं, अपितु उसका पूरा परिवार भी लगातार हर माह शोषित हो रहा है। उक्त समस्या के निराकरण हेतु पटवारी भत्ते के मद का उचित बजट उपलब्ध कराने का कष्ट करें बार-बार आने वाली इस समस्या का स्थाई निराकरण हो। राजस्व महाभियान 3.0 में पटवारियों को प्रताडऩा विगत वर्ष में लगातार राजस्व महाभ्यिान 1.0, 2.0 तथा 3.0 सतत चलाया गया है। जिसमें रिकार्ड तोड राजस्व प्रकरणों का निराकरण हुआ है। जिसमें प्रदेश के पटवारियों की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हैं। किन्तु प्राय: यह पाया जाता हैं कि, इन अभियानों के समय अत्यधिक राजस्व एवं योजनाओं के कार्यों की वजह से साफ्टवेयर एवं सर्वरों पर अत्यधिक दबाव होने से कार्य करना बंद कर देते हैं, अथवा अत्यधिक धीमी गति से चलते हैं। किन्तु उक्त तकनीकी समस्याओं पर ध्यान ना देकर पटवारियों को प्रताडित या दंडित किया जाता हैं। इसी प्रकार विगत तीन राजस्व अभियानों में अधिकांशत: राजस्व प्रकरणों का निराकरण हो चुका है। अब ऐसे प्रकरण या कार्य शेष रहे हैं। जो वास्तव में अत्यधिक जटिल ओर विवादित हैं। जिनमें न्यायालयीन सुनवाई एवं समुचित समय की आवश्यकता है। किन्तु पटवारियों की पक्ष जाने बगैर ही उन पर कार्यवाही की जा रही है। पदोन्नति व समयमान वेतनमान राजस्व विभाग में तहसीलदार, नायब तहसलीदार एवं राजस्व निरीक्षक पद पर पदस्थ सभी का वेतन उन्नयन एवं पदोन्नत किया गया है। किंतु सिर्फ पटवारियों का ना तो वेतन उन्नयन किया गया ना ही पदोन्नत किया गया हैं। जबकि प्रदेश के प्रत्येक जिले में राजस्व निरीक्षक के पद उनकी पदोन्नति होने व सेवानिवृत्ति से रिक्त हुए हैं। ऐसे रिक्त पदों पर जिलों के वरिष्ठ पटवारियों को पदोन्नत किया जावें। अन्य कमचारियों की भांति पटवारियों को भी पदोन्नत पद का लाभ प्राप्त हो। इसी प्रकार सीआर के अभाव में प्रदेश के हजारों पटवारी समयमान वेतनमान के लाभ से वंचित हैं। इसलिए सीआर लिखने की व्यवस्था कायम होने तक इसकी अनिवार्यता समाप्त कर, प्रदेश स्तर पर अभियान चलाकर पटवारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिया जावे, इसी प्रकार पटवारियों की कैडर रिव्यू की मांग को भी पूर्ण किया जाए। स्थानांतरण पुराने जिले में से नवीन जिले की स्थापना होने से पटवारी के स्थानांतरण संबंधित समस्या के निवारण हेतु पार्सियत अंत्तर जिला स्थानांतरण सुविधाओं का लाभ पटवारियों को प्रदान किया जाए।
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