धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही जीवन में खुश रह सकता है शिवमहापुराण के समापन अवसर पर बोले जुगराज धर द्विवेदी
धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही जीवन में खुश रह सकता है शिवमहापुराण के समापन अवसर पर बोले जुगराज धर द्विवेदी
मण्डला - 19 दिसंबर से आयोजित शिव महापुराण के समापन अवसर पर कथा व्यास आचार्य शशिकांत द्विवेदी प्रयागराज उत्तरप्रदेश ने विधि विधान से पूर्ण आहूती कराई। इस दौरान शिव महापुराण के समापन पर आचार्य जी से आर्शीवाद लेने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं क्षेत्र विशेष सम्पर्क प्रमुख जुगराज धर द्विवेदी, उच्च न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता तथा विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत सहमंत्री एड. प्रदीप गुप्ता, विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत धर्म जागरण प्रमुख अरविन्द तिवारी, प्रांत विशेष सम्पर्क प्रमुख दिनेश सिंह, बजरंग दल के पूर्व प्रांत संयोजक अजय शर्मा, वन स्वर निर्देशक डॉ. शिवरथ महापुराण स्थल पहुंचे जहां पर आचार्य जी ने सभी धर्मप्रेमियों का भगवा वस्त्र से सम्मान करते हुए रूद्राक्ष भेंट किए। इस अवसर पर सम्पर्क प्रमुख जुगराज धर द्विवेदी कहा कि सनातन धर्म का विशेष महत्व है। हर हिन्दू के घर में भगवा ध्वज, गीता, रामायण और तुलसी पूजन होना चाहिए उन्होंने कहा कि हिन्दूत्व की रक्षा करना हर हिन्दू का धर्म हैं। इस अवसर पर पत्रकार परिषद ने भी आचार्य जी का अंग वस्त्र से सम्मान किया। इस दौरान राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद के जिला अध्यक्ष नीरज अग्रवाल, समाज कल्याण प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कैलाश डेहरिया, समाजसेवी श्रीमति उमा यादव, रोहित बघेल, दिनेश कुमार डेहरिया, सोनू सिंधिया मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
वहीं कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्रीमति सम्पतियां उईके भी पहुंची उन्होंने आचार्य श्री का शॉल श्रीफल से सम्मान करते हुए इस शिवपुराण के सफल आयोजन की बधाई दी और कहा कि शिव की महिमा चारों लोक में सुनाई देती है और शिवपुराण का सुनना और शिव पुराण का आयोजन कराना पुण्य का कार्य हैं। इस दौरान महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष श्रीमति मंजू कछवाहा, भाजपा नेत्री शशि पटेल, भाजपा नेत्री अनिता तिवारी, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रफुल्ल मिश्रा, सचिन शर्मा के साथ अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। बता दें कि नगर मुख्यालय के पीडब्लूडी कॉलोनी मैदान में नौ दिन से चल रहे विराट श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का हवन और विशाल भंडारे के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ। इस दौरान पं. पू.आचार्य शशिकांत द्विवेदी ने अंतिम दिन की कथा सुनाते हुए भक्तों से कहा कि शिव के महात्मय से ओत-प्रोत यह पुराण शिव महापुराण के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान शिव पापों का नाश करने वाले देव हैं तथा बड़े सरल स्वभाव के हैं। इनका एक नाम भोला भी है। अपने नाम के अनुसार ही बड़े भोले-भाले एवं शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को मनवाँछित फल देने वाले हैं। कथावाचक आचार्य ने श्रद्धालुओं से कहा कि धार्मिक आयोजनों में भावनाएं होनी जरूरी है। सगुण, साकार सूर्य, चंद्रमा, जल, पृथ्वी, वायु यह एक शिव पुराण का स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि अपने चारों ओर सदैव वातावरण शुद्ध रखें। जहां स्वच्छता और शांति होती है, वहां देवताओं का वास होता है। जल,वायु, पेड़ एक चेतन से लेकर जड़ चेतन में आकर एक-दूसरे के सहायक बनते हैं। जहां अधार्मिकता बढ़ जाती है और कर्म को भूल जाते हैं वहां शिव और शक्ति दोनों नहीं होते। शिव की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव ही मनुष्य को सांसारिक बन्धनों से मुक्त कर सकते हैं शिव की भक्ति से सुख व समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस अलौकिक शिवपुराण की कथा सुनना अर्थात पाप से विमुक्त होना है।
आयोजित शिव महापुराण में कथा को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुंचे। कथा सार सुनकर श्रोता झूम उठे। पूर्णाहुति के पूर्व शिवपुराण के पं. पू.आचार्य शशिकांत द्विवेदी ने शिव महापुराण कथा का सार बताया। वहीं उन्होंने कहा कि इस सांसारिक युग में प्रत्येक मनुष्य के मन में लालच और लोभ की भावना जागृत हो जाती है जिससे वह अपने लाभ की शातिर धार्मिक कार्यो से हटकर पापों जैसे कार्य करने लगता है। ऐसे कार्य जिससे उनका जीवन नरक बनता चला जाता है लेकिन ऐसे मनुष्य को शिव महापुराण की कथा सुनने से ज्ञान आता है तब वह इन पापों रूपी कार्यो को करना बंद कर देता है और भगवान शिव की अराधना में लीन हो जाता है तब उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भौतिक और वैज्ञानिक जाल में फंसे मनुष्यों को विपदा और कष्टों से शिव महापुराण की कथा मुक्ति दिलाती है। मनुष्य के चार प्रमुख सदगुण विवेक, संयम, धैर्य और न्याय हैं। इनका पालन करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। इसके विपरीत जीवन यापन करने वाला व्यक्ति भले ही बाहर से कितना ही सुखी दिखे, लेकिन उसकी आत्मा दुखी रहती है। मानव का तमोगुण हिंसा को बढ़ावा देता है वहीं रजोगुण मानव को अहिंसक बनाता है। कथा समापन पर भंडारे का आयोजन भी किया गया। हवन के बाद कन्या भोजन कराया गया इसी के साथ भंडारा महाप्रसादी के साथ शिवमहापुराण का समापन हुआ। इस महापुराण में मुख्य यजमान रामकिशन बर्मन एवं श्रीमति उषा बर्मन के साथ अन्य यजमान व परिवार के सोनल बर्मन, श्रृद्धा बर्मन, पूजा बर्मन, मोहनी बर्मन, अनिल बर्मन, सोनम बर्मन, पूनम बर्मन के साथ अन्य सहयोगियों की भूमिका रही है।
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