पशुओं की पीड़ा को पहचाने और उनकी रक्षा करें महाराज जी
- पशु बेजुबान तो है लेकिन बेजान नहीं
- पशुओं की पीड़ा को पहचाने और उनकी रक्षा करें
नैनपुर . पिंडरई मंडला व्रती नगरी में गांधी जयंती के अवसर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें निर्यापक मुनि श्री 108 समता सागर जी महाराज ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहां कि भारतीय संस्कृति करुणा प्रधान संस्कृति है करुणा की कहानी यहां की माटी और पानी में गोली मिली है राम महावीर कृष्णा गौतम नानक और गांधी के देश में सदा सदा से प्राणियों की रक्षा को धर्म कहा गया है। अहिंसा भारतीय संस्कृति की आत्मा है, विचार वाणी और कम से किसी प्राणी को कष्ट पहुंचाना अहिंसा को स्वीकार नहीं है।
देश में जिस तरह स्वतंत्रता से जीने और रहने का अधिकार हमें है उसी प्रकार जीने और रहने का अधिकार पशुओं का भी है। पशु भी हमारे समान सुख दुख का अनुभव करते हैं। प्राण संवेदना उनके अंदर भी है, यह बात अलग है कि हमारे पास सुख-दुख व्यक्त करने के लिए जुबान है, भाषा है लेकिन पशु के पास जुबान तो है, लेकिन हमारे जैसी भाषा नहीं है, यह हमें समझना चाहिए कि पशु बेजुबान तो है लेकिन बेजान नहीं, हमारी जुबान और जवानी तो इसी में सार्थक है कि हम पशुओं की पीड़ा को पहचाने और उनकी रक्षा करें।
इस अवसर पर ऐलक निश्चय सागर जी एवं ऐलक निजानंद सागर जी भी अपने विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय चिंतक एवं विचारक सफीक खान शाकाहार एवं अहिंसा कार्य में विगत 30 वर्षों से देश भर में प्रचार कर रहे हैं एवं स्वयं शाकाहारी हैं। सभी संतों का आशीर्वाद मिला हुआ है। साधु सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रमुख ऋषभ जैन ने बताया कि कार्यक्रम में अजीत नायक, महेश जैन, सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष चौधरी कैलाश जैन एवं समाज के पदाधिकारियों ने बाहर से आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर जिला पंचायत के अध्यक्ष संजय कुशराम ने भी अपने विचार व्यक्त किये एवं शाकाहार के पालन का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में घंसौर धनोरा बालाघाट नैनपुर मंडला के धर्म प्रेमी बंधु सम्मिलित हुए।
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