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नवरात्र के दशहरा पर्व में नीलकंठ के दर्शन करने की मान्यता

 


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  • दशहरा के दिन नीलकंठ को देखना होता है शुभ
  • नवरात्र के दशहरा पर्व में नीलकंठ के दर्शन करने की मान्यता
  • नीलकंठ के दर्शन करने का है धार्मिक महत्व
  • नीलकंठ के दर्शन करना होता है शुभ और फलदायी


नैनपुर - विजयदशमी पर्व पर हर व्यक्ति नीलकंठ के दर्शन की आस लगाता है, लेकिन नीलकंठ भी हर व्यक्ति को दर्शन नही होते है। कहते है कि नीलकंठ के दर्शन मात्र से घर मे धन-धान्य में वृद्धि होती है और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत होते है। सुबह से लेकर शाम तक यदि किसीभी वक्त नीलकंठ के दर्शन दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है। नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर नीलकंठ के दर्शन करना शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है।

 

 जिला मंडला में शनिवार 12 अक्टूबर की दोपहर को लोगों ने नीलकंठ के दर्शन किए। बताया गया कि दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन से पुण्य मिलता है। मनोकामना पूरी होती है। नीलकंठ के दर्शन के लिए विजय दशमी के दिन शनिवार को लोग शहर से ग्रामीण क्षेत्र, जंगल की ओर रवाना हुए। कुछ को नीलकंठ के दर्शन हुए तो वहीं कुछ बिना दर्शन के ही लौट गए। कुछ भक्तों ने नीलकंठ के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया।

नीलकंठ के दर्शन करने का धार्मिक महत्व 

 विजयदशमी दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने का विशेष महत्व भगवान राम के लंका पर विजय के साथ जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम लंकापति रावण का अंत करने जा रहे थे, उससे पहले रामजी को नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे, इसके बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए नीलकंठ पक्षी को शुभ और विजय का संकेत माना गया है।

नीलकंठ शुभ और विजय का संकेत 

बताया गया कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया था। तब भगवान शिव नीलकंठ के रूप में धरती पर आए थे और लोगों को दर्शन दिए थे। नीलकंठ का मतलब जिसका कंठ व गला नीला हो गया

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