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अंग्रेजी हुकुमत के दौर का थांवर नदी का पुल अंतिम सांसे ले रहा

अंग्रेजी हुकुमत के दौर का थांवर नदी का पुल अंतिम सांसे ले रहा

लगातार हो रही बारिश से सिवनी मंडला मार्ग एक महीने में तीन मर्तबा बंद



नैनपुर - लगातार हो रही बारिश ने जीवन को नरक बना दिया है। काम धंधा चोपट, आवागमन बदहाल, खेतो मे खड़ी फसले भी पीली झाग मारने लगी है। पिछले महीने से हो रही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। दिनांक 7 अगस्त से हो रही धुंआधार बारिश ओर बीजेगांव बांध के गेट खुलने से सिवनी मंडला मार्ग पर धांवर नदी में अग्रेजों के द्वारा बना पुल दो दिनों से डूबा रहा जिससे सीधे मंडला सिवनी का संपर्क टूट गया।

 जब पुल के नीचे पानी आया तब मालूम पड़ा कि पुल ने भी गहरे चोड़े जख्म ले लिए। सिवनी से मंडला डिंडोरी जिले को जोड़ने वाला थांवर पुल चौथी मर्तबा बाढ़ की चपेट में था, जबकि जेवनारा पिंडरई मार्ग, बंधा डिठोरी मार्ग के साथ बालाघाट से सड़क सम्पर्क भी बाधित रहा है। पिछले 15 दिनों के भीतर ऐसे हालात चौथी बार बने है। थांवर नदी में बाढ़ के कारण पुल का उपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। जोखिम में पुल पार करना जाहिर है कि नैनपुर से सिवनी जिले के गंगाटोला, खेरखंजी सुनहेरा देहवानी ऊंचाई से इसे इस तरह पार करना कितना जोखिम भरा है इसे देखकर ही लोगों की रूह कांप रही थी। वहीं बाढ़ उतरने के बाद जर्जर हुए पुल से भी लोग पैदल और अपनी मोटरसाइकिल लेकर अपनी जान जोखिम में डालकर पार करते नजर आ रहे है।


ग्राम पंचायतों के लगभग 25 ग्रामो का रोजमर्रा का सम्बन्ध नैनपुर से है, जिन्हें अपने जीवन यापन के लिये रोज नैनपुर आना पड़ता है। मगर नदी मे बाढ़ के हालात के बाद जर्ज हुए पुल से लोग परेशान हो जाते है। वर्तमान में यहां बनने वाले नये पुल के सहारे ओर जर्जर हुए पुल से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने की जुगत में लगे रहते हैं। ऐसे ही दृश्य दिखाई दिया जब कुछ युवक व युवती निर्माणाधीन पुल के गर्डर से बांस बलियो के सहारे पुल पार करते रहे। उफनती नदी में इतनी ऊचाई मे पार करना जोखिम की बात हे वही बाढ़ उतरने के बाद लोग जर्जर हुए पुल से पैदल ओर अपनी मोटरसाइकिल पर करते भी नजर आ रहे हैं जो बहुत ही जोखिम भरा कार्य हे 


थांवर नदी के पुल के स्लेप में बाढ़ का पानी उतरने के बाद विभाग के द्वारा आनन फानन में मार्ग को आवागमन योग्य बना दिया जाता है। पुल डूबता है और गहरे-गहरे गड्ढे के साथ फिर ओपन होता है प्रशासन को 20/12 एमएम सारिया का जाल बिछाकर केमीकल ग्राउटिंग कर स्लेप को बनाना चाहिए, जिससे जो जान जोखिम में डालकर मोटरसाइकिल ओर पैदल पार कर रहे उन्हें ऐसे संकट का सामना नहीं करना पडेगा और भविष्य के लिए पुल सुरक्षित रहेगा।

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