नगर पालिका की लापरवाही के चलते अव्यवस्थाओं के घेरे में है नगर का बुधवारी बाजार
व्यवस्थापक नहीं दे रहे हैं बाजार में ध्यान
आबादी बस्ती के बीच लगती है दुकानें
दिनों दिन बद से बदत्तर हो रहे हालात
नैनपुर। नगर का बुधवारी बाजार अव्यवस्थाओं के घेरे में है। यहां लगने वाली दूकानों में दुकानदारों का जंगल राज चलता है। जिसे जब जहां मर्जी अपनी दुकान लगा लेता है। बुधवारी बाजार में बाजार ठेकेदार की शह और नगर पालिका नैनपुर की नजर अन्दाजगी के चलते अव्यवस्थाएं चरम पर है। कई बार कोशिशें की जाती रही कि इसे सुव्यवस्थित किया जाए । मगर बाजार के हालात बाद से बदत्तर होते जा रहे हैं।
आबादी बस्ती तक पसर गई दूकाने
नगर में बुधवार और रविवार को साप्ताहिक सब्जी बाजार लगता है। सब्जी मंडी के नाम पर यहां थोक विक्रेताओं का राज है। लिहाजा छोटे दुकानदार मुख्य बाजार से खदेड़ दिए गये है। पहले जहां मुख्य सब्जी बाजार होता था वहां अब बाजार के दिनों में सन्नाटा पसरा रहता है। क्योंकि यहां नपा के बनाये गये दूकान शेडों में बड़े व्यापारियों का कब्जा है। जो यहां से अपनी थोक व फुटकर बाजार चलाते है। हालात यह है की पुरानी बस्ती में पोस्ट आफिस के पीछे और काफी कोना चौक तक फुटकर दूकाने लगाई जा रही है। ऐसा इसीलिए क्योंकि मुख्य बाजार में इन्हें जगह ही नही दी जाती है। लिहाजा आबादी बस्ती के बीच तक दूकाने लगाई जा रही है। पाल परदों और रस्सियों के साम्राज्य में यहां पैदल चलने के लिए भी अपना सिर बचाना पड़ता है। अव्यवस्था के मकड़ जाल में यहां में हालात बहुत बदत्तर है। कही भी लगा लिए जाते है ठेले
बाजार के इस जंगल राज में आवाजाही वाले रास्तों में जहां मर्जी आये वही ठेले खड़े कर दिए जाते है। बीच रास्ते में ठेला लगाकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाता है । जिस पर ठेकेदार द्वारा कोई नियंत्रण नहीं हैं । क्योंकि उन्हें अपनी वसूली से मतलब रहता है। बाजार में अव्यवस्थाओं के चलते सब्जी खरीदने वाले उपभोक्ता परेशान होते हैं । जहां उन्हें पार्किंग के लिए सुविधा नहीं होती है । वही सब्जी की दुकान निरंतर बाहर लगने के कारण उपभोक्ता अंदर जाना ही पसंद नहीं करता है। जिसके चलते अंदर की दुकानों पर व्यापारियों ने अपनी गोदाम बना रखी है। बड़े व्यापारियों के पास जहां एक दुकान के चलते चार गोदाम बना लिया है वहीं छोटे-छोटे व्यापारी अपनी छोटी-छोटी दुकान पाल पर्दे में लगाने के लिए मजबूर है। बाजार खत्म होते ही लग जाता है गंदगी का अंबार
बाजार खत्म होते ही सब्जी का निकलने वाला अपशिष्ट रास्ते में फेंक दिया जाता है। जिससे बाजार गंदगी से बज बजा जाता है। रहवासी इलाके में लगने वाली दूकानों में सब्जी का अपशिष्ट गंदगी से बजबजाता सड़ांध मारता रहता है। नतीजतन नाक न दे पाने की परेशानी से यहां के निवासी खासे परेशान रहते हैं। इसकी शिकायत नपा में पहले ही की जा चुकी है । मिन्नतें की गई कि निकलने वाला अवशिष्ट कचरा को चिन्हित कर ततकाल व्यवस्थित किया जाए। जिससे होने वाली गंदगी मच्छरों से बचा जा सके। मगर इन पड़े कचरा सब्जी के ढेर पर जानवर अपना मुंह मारकर यंत्र तंत्र और सर्वत्र फैला देते है। मसलन अगले दिवस सफाई होने तक बाजार में घुसना भी दोईभर हो जाता है। व्यवस्था बनाने के प्रयासों पर लग जाता है ग्रहण।
ऐसा नही है कि बुधवारी बाजार को सुव्यवस्थित करने की मंशा या प्रयास नही किये गये। हर चुनाव में बुधवारी बाजार को व्यवस्थित करने का संकल्प पत्र में जुड़ा बिंदु हर पार्टी का मुख्य संकल्प रहता है। मगर जब भी बाजार को व्यवस्थित करने की बात सामने आती है तब अनावश्यक हो हल्ला के साथ असहयोग का रवैया अपनाया जाता है। इसके अलावा बुधवारी बाजार में नपा के द्वारा सेड वितरण में हुये भाई भतीजावाद और मनमानी के कारण मामला अपने आप सिफर हो जाता है। लिहाजा प्रयासों को आने आप ग्रहण लग जाता है। जबकि यहां एक बार सख्ती से व्यवस्था बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। शायद ही ऐसा कोई शहर या नगर होगा जहां बाजार में मनमानी और इस तरह की बदइंतजामी का आलम पसरा हुआ है।
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