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अक्षय तृतीया के दिन को क्यों शुभ माना जाता है!!!!

बुरहानपुर//अक्षय तृतीया का दिन भगवान विष्णु द्वारा शासित होता है जिन्हें हिंदू त्रिमूर्ति में संरक्षक भगवान माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग का दूसरा योग अक्षय तृतीया के दिन शुरू हुआ था।
शास्‍त्रों में अक्षय तृतीया के दिन को बहुत शुभ माना गया गया है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए कर्मों से जीवन में बरकत होती है. उसका फल कभी समाप्‍त नहीं होता. इ‍सलिए इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्‍य वगैरह किए जाते हैं.
अक्षय तृतीया को लेकर कहा जाता है कि वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है और उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है.
भगवान विष्‍णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्‍म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था. इस दिन को परशुराम जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है. भगवान परशुराम को आठ चिरंजीवियों में से एक माना गया है. मान्‍यता है कि वे आज भी धरती पर मौजूद हैं.
माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान वेदव्‍यास ने महाभारत की कथा सुनाना शुरू किया था और भगवान गणपति ने इसे लिखना शुरू किया था. इस महाभारत में ही गीता भी समाहित है. 
ये भी माना जाता है कि मां गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थीं. इस‍लिए इस दिन गंगा स्‍नान का विशेष महत्‍व माना जाता है. इस दिन गंगा स्‍नान करने से आपके जाने-अंजाने किए गए पाप कट जाते हैं.।
अक्षय तृतीया को लेकर कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्‍ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी. इसी दिन युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला था. इस पात्र का भोजन कभी समाप्‍त नहीं होता. इससे युधिष्ठिर अपने राज्‍य के लोगों को भोजन उपलब्‍ध करवाते थे.
अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिले थे. सुदामा ने कृष्‍ण को भेंट स्‍वरूप चावल के मात्र कुछ मुट्ठी दाने दिए थे. उनके पास श्रीकृष्‍ण को देने के लिए कुछ नहीं था. भाव के भूखे भगवान ने उनके प्रेम से प्रसन्‍न होकर उनकी झोपड़ी को महल बना दिया था.।

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