मानो प्रकृति भी फागुन, रमजान एक साथ मना रही भारत में.......
फागुन रमजान
केसरिया पलाश के फूल चारों ओर केशरिया छटा निराली बिखरी
पेड़ों पर नए पत्तों की हरियाली हरा रंग की छटा निराली ,
मानो प्रकृति भी फागुन, रमजान एक साथ मना रही भारत में.......
केसरिया भात की खुशबू हवाओ में,
शीर खुरमे की खुशबू फिजाओं में,
यह सुंदर संगम देखकर धरती भी हरी- केसरिया होली भारत में,
मानो प्रकृति भी फागुन, रमजान एक साथ मना रही भारत में.......
राधा के घुंघट से देखते कजरारे नैन,
रोजा के बुर्के से झांकते मतवाले नैन, संगम भी अद्भुत निराला है मेरे भारत में,
मानो प्रकृति भी फागुन रमजान एक साथ मना रही भारत में........
रमेश काका मंदिर में ,रहमान चाचा मस्जिद में एक साथ सिर छुक रहे पूजा, नमाज में
गायत्री मंत्र और अजान गूंज रही मेरे पूरे भारत में,
मानो प्रकृति भी फागुन रमजान एक साथ मना रही
भारत में........
कवयित्री
प्रेमलता सांकले(सुकुन)
भारत में अमन और चैन की दुआओं के साथ
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